वहीं इसके ब्रांड को खरीदने के बाद उन श्रमिकों को काफी खुशी हुई है, जिनका कंपनी पर बकाया था. कंपनी ने इस ब्रांड को महज 80 करोड़ रुपये में फ्रांस की पीजो कंपनी को बेच दिया है. बताया गया है कि जिस धनराशि से कंपनी के इस ब्रांड को खरीदा गया है, उससे बकायेदार श्रमिकों को उनका वेतन दिया जायेगा.
इस विश्वविख्यात कारख़ाने को तब एक बड़ा झटका लगा, जब 1980 में मारुति कंपनी ने बहुत ही कम कीमत पर सस्ती व सुंदर गाड़ियों को बाजार में उतारा. दिनोंदिन नयी-नयी तकनीक की आधुनिक गाड़ियां बाजार में आने लगीं, जिसके बाद से धीरे-धीरे एंबेसडर गाड़ियों की मांग बाजार में घटने लगी और इसके उत्पादन में भारी कमी आने लगी. चार साल पहले इस कंपनी का सालाना उत्पादन 2000 गाड़ियों का था, लेकिन धीरे-धीरे इस कंपनी की आर्थिक अवस्था बिगड़ने लगी और आखिरकार 2014 के मई में यह कंपनी अनिश्चितकालीन के लिए बंद हो गयी.