हालांकि वह मामला अभी लंबित है. आरोप है कि पांच सदस्यीय कमेटी का गठन अवैध तरीके से प्रशासन ने किया. इसमें आमता के बीडीओ, बीएल एंड एलआरओ आमता-1, आमता थाने के प्रभारी, आमता-1 पंचायत समिति के सभापति और वन व भूमि कार्यालय आमता- पंचायत समिति के प्रतिनिधि शामिल थे. याचिकाकर्ता को एसएमएस के जरिये पता चला कि एक कमेटी का गठन किया गया है.
गत वर्ष 22 दिसंबर को कमेटी के फैसले के तहत पुलिस की मौजूदगी में उनकी जमीन से फसल को काटा गया. इसके बाद जामिनी दास ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की. न्यायाधीश देवांशु बसाक ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी अधिकारी कंगारू कोर्ट का गठन कैसे कर सकते हैं या फिर किसी सालिशी सभा का हिस्सा कैसे हो सकते हैं. सरकारी अधिकारियों ने ऐसा किया कैसे. कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्यों न इन सरकारी अधिकारियों के वेतन को काटकर पीड़ित को मुआवजा दिया जाये? अदालत ने राज्य सरकार को इस संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. तीन हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर करना होगा. तीन हफ्ते के बाद मामले की अगली सुनवाई होगी.