विभाग के एक आला अधिकारी ने बताया कि एक बार जब हम लोग इस परियोजना की व्यवहार्यता की जांच कर लेंगे, तब हम इसे पूरे राज्य में लागू करेंगे. इस परियोजना द्वारा जल उपलब्ध कराने के एवज में एक फीस ली जायेगी. साथ ही किसानों के घरों में भी सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने की हमारी योजना है.
विभाग के अनुमान के अनुसार प्रत्येक यूनिट पर लगभग नौ लाख रुपये की लागत आयेगी एवं इसमें 80 से 100 बीघा जमीन को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने की क्षमता होगी. परियोजना के नामकरण के लिए श्री महापात्रा पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिख चुके हैं. अधिकारी ने बताया कि सिंचाई का खर्च कम होने पर किसानों को विविध प्रकार के फसलों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. इस परियोजना से राज्य में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा, जिसे केंद्र सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है.