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गंगासागर : लौटने लगे तीर्थयात्री, मगर 400 तीर्थयात्रियों को अपनों का अब भी इंतजार
रविवार को एक लाख श्रद्धालुओं ने लगायी डुबकी, कपिलमुनि मंदिर में की पूजा-अर्चना विकास गुप्ता गंगासागर : मकर संक्रांति पर गंगासागर में पुण्य स्नान करने के बाद तीर्थयात्रियों का जत्था रविवार को घर लौटने लगा. शनिवार से ही यह सिलसिला शुरू हो गया था. लेकिन हजारों तीर्थयात्रियों ने रविवार को भी सागर में डुबकी लगायी. […]
रविवार को एक लाख श्रद्धालुओं ने लगायी डुबकी, कपिलमुनि मंदिर में की पूजा-अर्चना
विकास गुप्ता
गंगासागर : मकर संक्रांति पर गंगासागर में पुण्य स्नान करने के बाद तीर्थयात्रियों का जत्था रविवार को घर लौटने लगा. शनिवार से ही यह सिलसिला शुरू हो गया था. लेकिन हजारों तीर्थयात्रियों ने रविवार को भी सागर में डुबकी लगायी.
इसके बाद सपरिवार कपिलमुनी मंदिर का दर्शन कर घर लौट चले. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से आये कपिल शर्मा ने बताया कि पांच वर्ष से पत्नी और मां के साथ गंगासागर तीर्थयात्रा करने की इच्छा थी. इस वर्ष यह तमन्ना पूरी हुई. यहां आकर मन को काफी सुकून मिला. यात्रा के दौरान हुआ सारा कष्ट दूर हो गया. बिहार के बलिया से आयीं उमादेवी ने कहा कि गंगासागर तीर्थ करा बेटे ने मेरे मन की सारी इच्छा पूरी कर दी.
शनिवार और रविवार दोनों दिन सागर में स्नान किया. कपिलमुनि मंदिर के दर्शन के बाद ऐसा लग रहा है कि मनुष्य जीवन सार्थक हो गया.
गंगासागर में रविवार का नजारा आम दिनों की तुलना में कुछ अलग ही था. अब तक लोगों से पटा सागर रविवार को खाली-खाली दिखा. दक्षिण 24 परगना के डीएम पीबी सलीम ने बताया कि मेला में जितने लोग अब भी परिवार से नहीं मिल पाये हैं, उन्हें स्वयंसेवी संस्था बजरंग परिषद के सदस्य घर तक पहुंचा देंगे. अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि बिछुड़े लोग परिवार से ना मिल सके हों. मेला के आयोजन की सफलता पर उन्होंने मुख्यमंत्री की काफी सराहना की.
400 तीर्थयात्रियों को अपनों का अब भी इंतजार
गंगासागर मेला का समापन रविवार को हुआ. यहां 12 से 15 जनवरी के बीच कुल 12 हजार तीर्थत्रायी अपनी मंडली या अपने परिवार से बिछुड़ गये थे. इनमें से अधिकतर लोग मिल गये और खुशी-खुशी सागरद्वीप से अपने घर लौट गये. लेकिन अब भी 400 ऐसे लोग हैं, जो अपनों से मिलने की आस में बैठे हुए हैं. फिलहाल निजी स्वयंसेवी संस्था बजरंग परिषद ने इन्हें सहारा दिया है.
संस्था के सदस्य शंभु बर्नवाल ने बताया कि हम इन लोगों को दिलासा दे रहे हैं कि यदि उनके घरवाले नहीं मिले तो उन्हें उनके गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था की जायेगी. लेकिन कुछ माताओं की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रही. कुछ माताएं तो अपने परिवार के सदस्यों और गांव का नाम तक नहीं बता पा रही हैं.
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