पूर्व मंत्री अनादि साहू ने बताया कि राज्य में चटकल (जूट मिल) श्रमिकों की दशा खराब है. बंगाल में लगभग 12 जूट मिलें बंद हैं. केंद्र सरकार द्वारा बोनस वृद्धि की घोषणा किये जाने के बाद भी श्रमिकों के बोनस में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं की गयी है. वहीं श्रीमिकों की ग्रेच्युटी का लगभग 480 करोड़ रुपये, पीएफ के 120 करोड़ तथा इएसआइ के लगभग 90 करोड़ रुपये बकाया रखा गया है.
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के नियमानुसार प्रत्येक जूट मिल में 90 फीसदी श्रमिकों को स्थायी तौर पर रखना होगा और अस्थायी श्रमिकों को स्थायी करना होगा, लेकिन विभिन्न जूट मिलों में सरकार के इस कानून को ठेंगा दिखाया जा रहा है. विभिन्न मिलों में अस्थायी ठेका श्रमिकों से काम लिया जा रहा है. जूट मिलों में श्रमिक क्वार्टर की दशा बद से बदतर है. अनाज रखने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न जूट मिलों से लगभग 90 फीसदी जूट बैग (बोरा) खरीदती है, लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उपरोक्त खरीदारी में गिराट आयी है. इससे लगभग ढाई लाख श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं और लगभग 40 लाख जूट किसान व उनके परिजन प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से श्रमिकों के वेतन वितरण किये जाने पर भी सवाललिया निशान लग गया है.