कोलकाता़ महानगर की तुलना में उपरनगरीय इलाकों में अमान्य नोट को बदलवाने व जमा करने के लिए सुबह पांच बजे से बैंकों के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही है़ं लोगों का आरोप है कि सरकार के निर्देशों के बावजूद लोगों की सुविधा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है़ महिला […]
कोलकाता़ महानगर की तुलना में उपरनगरीय इलाकों में अमान्य नोट को बदलवाने व जमा करने के लिए सुबह पांच बजे से बैंकों के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही है़ं लोगों का आरोप है कि सरकार के निर्देशों के बावजूद लोगों की सुविधा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है़ महिला हो या वृद्ध सभी के लिए एक ही लाइन में लगायी जा रही है़ .
इससे लोगों भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है़ कई लोगों का आरोप है कि लाइन में भाड़े के लोगों के कारण भीड़ कमने का नाम नहीं ले रहा़ लोगों ने बताया कि कई लोग गरीब और वृद्ध लोगों को रुपये देकर सुबह-सुबह लाइन में खड़ा करवा देते हैं और खुद बैंक खुलने के बाद आराम से पहुंचते हैं. आरोप है कि बैंकों में लाइन लगाने के बदले 30 से 50 रुपये दिये जाते है़ं वहीं अपने पहचान पत्र पर नोट बदलवाने के बदले 200 से 300 सौ रुपये दिये जाते है़ं नोटबंदी की घोषणा के बाद उपनगरीय क्षेत्रों में यह धंधा जोरों पर चल रहा है़ टीटागढ़ बांसबागान निवासी मोहम्मद शेख (बदला हुआ नाम) सारा दिन काम करने पर दो से तीन सौ रुपये कड़ी मेहनत से कमा पाते हैं.
उन्हें अपने पहचान पत्र पर नोट बदलवाने पर 300 रुपये मिल रहे है़ं इसके लिए उन्हें तीन से चार घंटे लाइन में खड़े रहने पड़ते हैं. उसने बताया कि यहां केवल लाइन लगाने के लिए 30 से 50 रुपया मिलते हैं. हालांकि इसके खिलाफ कोई लिखित शिकायत नहीं होने के कारण पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है़
नोट बदलनेवालों की अंगुली में स्याही
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार की डिमोनीटाइजेशन ड्राइव के तहत नोटों को बदलने के लिए भीड़ को काबू में लाने के लिए अब लोगों की अंगुली पर स्याही लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी. एसबीआइ की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के निर्देश के बाद से बुधवार से ही यह प्रक्रिया कई शाखाओं में लागू हो गयी. प्रतिदिन नोट बदलने के लिए लोगों की भीड़ में कई लोग ऐसे भी हैं, जो इन रुपयों को लेकर कालाबाजारी में लगे हैं जिसकी वजह से आम लोगों को काफी कठिनाई हो रही है.