कोलकाता: देश में जहां प्लास्टिक उद्योग के विकास की दर 15 प्रतिशत है, वहीं बंगाल में यह उद्योग 10 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है. प्लास्टिक उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि जमीन, कच्च माल एवं प्रशिक्षित कर्मियों की कमी विकास दर में पिछड़ेपन का एक बड़ा कारण है.
एक संवाददाता सम्मेलन में इंडियन प्लास्टिक फेडरेशन (आइपीएफ) के अध्यक्ष प्रदीप नैयर ने कहा कि जमीन व कच्चे माल की कमी की समस्या को तो हम लोगों ने काफी हद तक हल कर लिया है, लेकिन राज्य में प्रशिक्षित कर्मियों की भारी कमी अभी भी मुसीबत बनी हुई है.
बंगाल में सालाना प्लास्टिक उद्योग 6500 करोड़ रुपये का है. लगभग दो लाख लोग इस उद्योग में काम करते हैं. उद्योग को और विकसित करने के लिए प्रति वर्ष 20 हजार प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है. इसके लिए आइपीएफ हावड़ा जिला के संकराइल स्थित पोली पार्क में एक नॉलेज सेंटर तैयार करने जा रहा है, जिसके लिए बुधवार को भूमि पूजा की गयी. आइपीएफ नॉलेज सेंटर के चेयरमैन जेसी अग्रवाल ने बताया कि इसे तैयार करने में 15 महीने का समय लगेगा.
हम लोग चरणबद्ध तरीके से इस सेंटर को तैयार करेंगे. पहले चरण पर छह करोड़ रुपये खर्च होंगे. कुल लागत 25 करोड़ रुपये आंकी गयी है. श्री अग्रवाल ने बताया कि अभी हमारा लक्ष्य प्रत्येक वर्ष 2000 लोगों को प्रशिक्षण देने का है. इस पोली पार्क में 39 फैक्टरियां हैं, इनमें से कई मशीन ऑपरेटर की कमी के कारण चालू तक नहीं हो पायी हैं. श्री अग्रवाल ने बताया कि यह प्रशिक्षण केंद्र हम लोग मुनाफा कमाने के लिए चालू नहीं कर रहे हैं. इसलिए मामूली फीस पर यहां लोगों को ट्रेनिंग दी जायेगी. बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले, अल्पसंख्यक समुदाय, अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को प्रशिक्षण देने में प्राथमिकता दी जायेगी.