कोलकाता : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संग्रहालय विज्ञान को उपेक्षित क्षेत्र बताते हुए कहा कि एशिया के पुराने संग्रहालयों में से एक कोलकाता स्थित भारतीय संग्रहालय को परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए आगे आना चाहिए. श्री सिंह ने यहां संग्रहालय के द्विशताब्दी समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा : बदकिस्मती से, संग्रहालय विज्ञान भारत में बुरी तरह उपेक्षित क्षेत्र है. इंडियन म्यूजियम इस संबंध में नेतृत्व दे सकता है. उसे निभाना चाहिए.
ऐसा कर के, वह न सिर्फ अपने संग्रह समृद्ध कर सकता है, बल्कि देश भर के संग्रहालयों की भी मदद कर सकता है. प्रधानमंत्री ने बदलाव एवं विकास के वाहक के रूप में खुद को देखने का संग्रहालय प्रबंधन का आह्वान करते हुए कहा कि फर्क लाने के लिए पहली जरूरत यह है कि वह अपने कर्मियों को प्रशिक्षित और विकसित करे. श्री सिंह ने कहा : जब यह अपना सफर ताजा कर रहा है, उसे ज्ञान प्रदाता की अपनी भूमिका के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए. आज की दुनिया में संग्रह जमा करना पर्याप्त नहीं है.मनमोहन ने कहा कि संग्रहालय को अपने संग्रहों को दस्तावेजबंद करना, अध्ययन और विश्लेषण करना चाहिए. अन्य जगहों के इसी तरह के संग्रहों के साथ तुलना करना चाहिए.
उसे अन्य महान संग्रहालयों के साथ गंठबंधन बनाना चाहिए. पर्यटकों को आकर्षित करने में संग्रहालयों के महत्व को उजागर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कई महान शहर कुछ विलक्षण संग्रहालयों की मौजूदगी से परिभाषित होते हैं जहां का दौरा करने के लिए लोग हजारों मील का सफर तय करते हैं. एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के तत्वावधान में 1814 में स्थापित इंडियन म्यूजियम एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा बहुउद्देशीय संग्रहालय है.
मनमोहन ने इस अवसर पर संस्थान के दो सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट और एक ‘मोनोग्राफ’ जारी किया.प्रधानमंत्री ने कहा कि एक कालखंड में दुनिया भर में संग्रहालयों की भूमिका और उद्देश्य परिवर्तन से गुजरे हैं और उसके साथ एक और चीज – कला की शिक्षा के लिए समर्पित एक इमारत जोड़ी गयी है. उन्होंने कहा : संग्रहालय एक संग्रह है और साथ ही सीखने-सिखाने की एक संस्था भी.