कोलकाता : डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है क्योंकि कई बार लगभग मौत के मुंह तक पहुंच चुके मरीज को धरती के इस भगवान ने नया जीवन दिया है. आज हम आप को एक ऐसी ही घटना के विषय में बताने जा रहे. एक बार फिर धरती के इस भगवान ने लगभग मौत के मुंह में चुकी एक प्रसूता को नया जीवन दिया.
आम तौर पर हृदय जनित बीमारियों के साथ गर्भ धारण करना जोखिम भरा होता है, लेकिन अगर पहले से पता हो तो चिकित्सक बड़ी सावधानी के साथ प्रसव कराते हैं, लेकिन अगर पहले से इसका पता न हो तो मां व उसके गर्भ में पहल रहे नवजात दोनों की जान को खतरा रहता है. इस स्थिति में चिकित्सक के सामने दोनों में से किसी एक को बचाने का विकल्प रहता है लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसी ही एक प्रसूता को महानगर के एक निजी अस्पताल बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च सेंटर में जीवन दान मिला है. अस्पताल के चीफ कार्डियॉक सर्जन डॉ ललित कपूर के हाथों मरीज को नया जीवन मिला है.
क्या है मामला
दरअसल झारखंड की रहनेवाली सोनी राय (30) मां बननेवाली थी. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन गर्भ धारण करने के करीब 20 सप्ताह के बाद अचानक जैसे सब कुछ बदलने लगा. सोनी बार-बार बेहोश हो जाती थी. स्थानीय डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी समस्या का समाधान न होने पर एक डॉक्टर के सुझाव पर सोनी को बीएम बीड़ला हॉस्पिटल में डॉ ललित कपूर की देख रेख में भरती करवाया गया. इसके बाद जांच में पता चला की महिला के हर्ट वॉल्व में समस्या है. दाखिल कराये जाने के एक दिन बाद डॉ कपूर के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने सोनी के वॉल्व को बदला.
सर्जरी काफी जटिल थी क्योंकि इस दौरान नवजात या मां की मौत हो सकती थी, लेकिन डॉ कपूर ने बड़ी ही सावधानी से इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. सर्जरी के बाद महिला ने निर्धारित समय पर कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीएमआरआई) में एक कन्या शिशु को जन्म दिया. मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.
डॉ कपूर ने बताया कि महिला अब पूरी तरह स्वस्थ है. सर्जरी से पहले अल्ट्रासाउंड के जरिये नवजात पर नजर रखी जा रही थी. उन्होंने बताया कि इस तरह के मामले में किसी प्रसूता के वॉल्व का रिप्लेसमेंट करना काफी जोखिम भरा होता है. इस दौरान नवजात अथवा प्रसूता दोनों में से किसी एक अथवा दोनों की मौत हो सकती है.