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उन्नत बीज के उत्पादन में स्वनिर्भर बनाने की जरूरत : पुर्णेंदू
पश्चिम बंगाल मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है. राज्य में 71.23 लाख किसान हैं, जिनमें से 96 प्रतिशत छोटे किसान हैं. राज्य में विविध प्राकृतिक संसाधन हैं व विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थिति हैं, जो फसलों की एक विस्तृत श्रृंखला की खेती में मदद करता है. इसके बावजूद पश्चिम बंगाल उन्नत बीजों के उत्पादन […]
पश्चिम बंगाल मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है. राज्य में 71.23 लाख किसान हैं, जिनमें से 96 प्रतिशत छोटे किसान हैं. राज्य में विविध प्राकृतिक संसाधन हैं व विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थिति हैं, जो फसलों की एक विस्तृत श्रृंखला की खेती में मदद करता है.
इसके बावजूद पश्चिम बंगाल उन्नत बीजों के उत्पादन के क्षेत्र में देश के अन्य राज्यों से काफी पीछे है. उन्नत बीजों के लिए पश्चिम बंगाल को अन्य राज्यों पर निर्भर करना पड़ता है. राज्य की तृणमूल सरकार कृषि व बीज उत्पादन के क्षेत्र में बंगाल को स्वनिर्भर बनाने के लिए काफी प्रयास कर रही है. राज्य के कृषि मंत्री पुर्णेंदू बसु मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के स्वनिर्भर बंगाल मिशन को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. इस संबंध में राज्य के कृषि मंत्री पुर्णेंदू बसु से बातचीत की हमारे संवाददाता मुश्ताक खान ने.
सवाल : वर्तमान में पश्चिम बंगाल में कृषि क्षेत्र की स्थिति क्या है?
जवाब : दुनिया जानती है कि पश्चिम बंगाल एक कृषि प्रधान राज्य है. धान व सब्जियों की पैदावार में हमारा राज्य देश में प्रथम स्थान पर है. वहीं, आलू के उत्पादन में उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर आता है. पश्चिम बंगाल जूट, अन्नानस, लीची, आम व फूलों का भी एक बड़ा उत्पादक है. दलहन, तिलहन व मक्के की खेती में भी खासी तेजी हो रही है.
सबसे बड़ी बात यह है कि फिर से किसानों की खेती के प्रति रुचि बढ़ रही है. फसलों की सही कीमत नहीं मिल पाने के कारण लोग खेती से दूर होते जा रहे थे, पर हमारी सरकार के प्रयासों से स्थिति बदल रही है. किसानों को बिचौलियों के चंगुल से बचाने के लिए हमने कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें से एक सुफल बांग्ला है.
इस परियोजना के तहत किसान अपनी उपज स्वयं बेचते हैं. जिसका सीधा लाभ उन्हें मिल रहा है. हमने सोयेल हेल्थ कार्ड चालू किया है. इसके तहत प्रत्येक तीन वर्ष में खेतों की मिट्टी की जांच की जाती है. किसानों के लिए फसल बीमा योजना चलायी जा रही है. पश्चिम बंगाल देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां इस बीमा योजना का प्रीमियम राज्य सरकार भर रही है.
सवाल : उन्नत बीज हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है. इसके लिए आप लोग क्या कर रहे हैं?
जवाब : यह विडंबना ही है कि कृषि प्रधान राज्य होने व धान, आलू, सब्जी, पाट इत्यादि की पैदावार में आगे रहने के बावजूद हमें अच्छे बीच के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. धान को छोड़ कर किसी भी सर्टिफाइड बीच के उत्पादन में हम लोग स्वनिर्भर नहीं है.
आलू के उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद उन्नत बीच के लिए हमें पंजाब पर निर्भर करना पड़ता है. पाट के उत्पादन में नंबर वन होने के बावजूद इसके बीच हमें आंध्र प्रदेश से मंगाने पड़ते हैं. यह सही नहीं है. किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें उन्नत बीच उपलब्ध कराना होगा. राज्य में उन्नत बीज का बाजार लगभग 400 करोड़ का है. पर यह बात उद्योग जगत की नजरों से आेझल है. व्यवसाय व उद्योग जगत से हमारा आह्वान है कि वह इस क्षेत्र में निवेश करें.
सवाल : कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे की स्थिति क्या है. इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
जवाब : कृषि प्रधान राज्य होने के बावजूद पिछली वाममोरचा सरकार ने इसके विकास के लिए बुनियादी ढांचे की आेर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया. तभी तो हमें अच्छे किस्म के बीज के लिए आज भी दूसरे राज्यों पर निर्भर करना पड़ रहा है. हम लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं.
वर्तमान में खेती के लिए मौसम सबसे बड़ा चैलेंज बन गया है. मौसम में तेजी से बदलाव आ रहा है. अभी हाल ही में एक ही महीने में सूखा आैर बाढ़ दोनों देखने को मिली. किसानों को मौसम की मार से बचाने के लिए हम लोग राज्य भर में 185 मौसम केंद्र तैयार कर रहे हैं, जिससे किसानों को स्थानीय स्तर पर मौसम की खबर उपलब्ध करायी जायेगी.
इसके साथ ही हम लोगों ने माटीर कोथा नामक एक पोर्टल आरंभ किया है, जिसके द्वारा लोगों को खेती से संबंधित हर छोटी-बड़ी जानकारी उपलब्ध कराते हैं.
17000 कर्मियों को टैब दिया गया है, जिसके द्वारा वह लोगों को जानकारी उपलब्ध कराते हैं. अब तक 73,000 सवाल पूछे गये हैं, इनमें से 60 प्रतिशत सवालों के जवाब तो 24 घंटे के अंदर ही उपलब्ध करा दिये गये. इसके अलावा हम लोगों ने राज्य में बड़ी संख्या में कस्टम हाइरिंग सेंटर तैयार किया है, जहां खेती के काम आनेवाले बड़े-बड़े यंत्र रियायती भाड़े पर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है, पहले यह यंत्र दूसरे राज्यों से मंगाना पड़ता था. किसानों की सुविधा का ध्यान रखते हुए किराया राज्य सरकार निर्धारित करती है. इसके साथ ही यंत्र खरीदने के लिए किसानों को ऋृण भी उपलब्ध कराया जा रहा है. हमारा लक्ष्य 2020 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करनी है. उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है.
सवाल : उद्योग व व्यवसाय जगत से सरकार क्या उम्मीदें रखती हैं?
जवाब : देखिये हर काम अकेले राज्य सरकार के लिए करना संभव नहीं है. मिट्टी की जांच के मामले में पश्चिम बंगाल काफी पीछे है. अब इसे अहमियत दी जाने लगी है. राज्य में कुछ स्थायी लैब हैं और कुछ मोबाइल वैन हैं, जो गांवों में जा कर मिट्टी की जांच करते हैं, पर इनकी संख्या बेहद कम है. प्रत्येक जिले में मिट्टी जांच केंद्र की जरूरत है.
उद्योगपति इसके लिए आगे आयें. अगर वह आगे आते हैं, तो सरकार इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर देगी. उन्नत खेती के लिए किसानों का प्रशिक्षित होना जरूरी है. सरकार के लिए सभी को प्रशिक्षित करना संभव नहीं है. उद्योगपति इस क्षेत्र में आगे आयें आैर प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना करें. सरकार प्रशिक्षक की व्यवस्था कर सकती है. खाद्य प्रसंस्करण एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें अपार संभावना है. पर उस हिसाब से निवेश नहीं हुआ है.
इस वर्ष राज्य में 55 लाख मैट्रिक टन अधिक आलू का उत्पादन हुआ है. इसे काम में लगाना होगा. हमें आैर अधिक संख्या में कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है. सरकार पांच वर्ष से हाथ जोड़ कर आवेदन कर रही है, पर कोई बड़ा निवेश का प्रस्ताव नहीं आया है. कृषि उद्योग के विकास के लिए बड़े निवेश की सख्त जरूरत है.
सवाल : राज्य में कृषि के विकास के लिए केंद्र से किस तरह की सहायता मिल रही है?
जवाब : अगर यह कहा जाये कि मदद के नाम पर कुछ भी नहीं मिल रहा है तो गलत न होगा. कृषि के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की सख्त जरूरत है. जिसके लिए काफी बड़े फंड की आवश्यकता है. पर केंद्र इस मामले में पूरी तरह से उदासीन है. केंद्र की मोदी सरकार ने सब बोझ राज्य के कंधों पर ही डाल दिया है. पिछले दिनों उत्तर बंगाल के कई जिलों में बाढ़ आयी थी, जिससे फसलों को भारी नुकसान पहुंचा. पर केंद्र से मदद के नाम पर कुछ भी नहीं मिला. पिछले वर्ष भी यही कहानी दोहराई गयी थी.
नाम व पद : पुर्णेंदू बसु (राज्य के कृषि मंत्री )
विधायक : राजारहाट-गोपालपुर
राजनीतिक करियर : विधानसभा क्षेत्र में कभी नक्सल आंदोलन का हिस्सा रहे पुर्णेंदु बसु सिंगूर आंदोलन के समय तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए. तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने 2011 के विधानसभा चुनाव में उन्हें राजारहाट-गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया. चुनाव में मिली जीत के बाद वह ममता मंत्रिमंडल के सदस्य बन गये. आज भी उनका शुमार ममता बनर्जी के करीबी लोगों में होता है.
पता : नवान्न, थर्ड फ्लोर, हावड़ा
फोन : 2214-1778, 2253-5181
फैक्स : 2214-5757
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