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जलवायु में परिवर्तन से डेंगू के स्वभाव में बदलाव
कोलकाता: ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण जलवायु में परिवर्तन हो रहा है, जिसके कारण विभिन्न जगहों के मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है. वहीं इसके कारण वेक्टर बोर्न डिजीज यानी पानी से पैदा होने वाली बीमारियों का खरता बढ़ रहा है. वाइरोलॉजिस्ट वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु में परिवर्तन के कारण डेंगू के स्वभाव में परिवर्तन […]
कोलकाता: ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण जलवायु में परिवर्तन हो रहा है, जिसके कारण विभिन्न जगहों के मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है. वहीं इसके कारण वेक्टर बोर्न डिजीज यानी पानी से पैदा होने वाली बीमारियों का खरता बढ़ रहा है. वाइरोलॉजिस्ट वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु में परिवर्तन के कारण डेंगू के स्वभाव में परिवर्तन देखा जा रहा है. डेंगू के स्वभाव में बदलाव हमारे लिए खतरे की घंटी है.
साल भर चलेगा डेंगू का तांडव : वैज्ञानिकों के अनुसार, गत कुछ वर्षों के भीतर डेंगू के स्वभाव में काफी बदलाव हुआ है. एक समय था जब डेंगू का प्रभाव केवल मॉनसून या बारिश के समय देखा जाता था, लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है. अब साल भर डेंगू के मामले देखे जा रहे हैं.
हर तीन से पांच साल के अंतराल डेंगू बनता है महामारी : विशेषज्ञों के अनुसार हर तीन से पांच वर्ष के अंतराल पर डेंगू महामारी बन कर लोगों पर कहर बरपाता है. आपको बता दें कि 2005 के बाद 2012 में डेंगू के सबसे अधिक मामले देखे गये थे. 2012 में डेंगू के सबसे अधिक मामले कोलकाता, विधाननगर, हावड़ा में देखा गया था. वहीं 2015 में डेंगू का प्रकोप कुछ कम रहा. गत वर्ष 14 दिसंबर तक डेंगू के चपेट में आने कारण राज्य में 13 लोगों की मौत हुई थी. वहीं करीब 7 हजार से अधिक लोग इस बीमारी के चपेट में थे.
डेंगू के लिए कोलकाता रेड जोन : कलकत्ता स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसीन के वाइरोलॉजी विभागाध्यक्ष व वैज्ञानिक प्रो डॉ निमाइ भट्टाचार्य व प्रो डॉ तमाल कांति घोष से बात की. दोनों ने हमें बताया कि जलवायु में बदलाव डेंगू के स्वभाव में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है. इसके लिए रैपिड अर्बनाइजेशन अर्थात तेजी से हो रहे शहरीकरण भी जिम्मेदार माना जा रहा है. उन्होंने बताया कि डेंगू के लिए दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश के साथ कोलकाता रेड जोन में रखा गया है. देश के अन्य राज्यों के तुलना में यहां डेंगू के सबसे अधिक मामले देखे जाते हैं. प्रो भट्टाचार्य ने बताया कि महानगर में बारिश व ठंड के कम पड़ने के कारण यह समस्या और जटिल हो रही है. उन्होंने कहा कि यदि ठंड के समय महानगर का तापमान 9 डिग्री तक पहुंच जाये, तो यह मच्छर जनित जानलेवा बीमारी जड़ से साफ हो सकती है.
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