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आतंक के खिलाफ भारत और बांग्लादेश की साझा मुहिम

सिलीगुड़ी. भारत और बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में अपराध व आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिये खुफिया तंत्र को मजबूत करेंगे. यह फैसला दोनों के बीच उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया है. बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और भारत के बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक सिलीगुड़ी के कदमतला में चल रही है. पहले दिन की […]

सिलीगुड़ी. भारत और बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में अपराध व आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिये खुफिया तंत्र को मजबूत करेंगे. यह फैसला दोनों के बीच उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया है. बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और भारत के बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक सिलीगुड़ी के कदमतला में चल रही है.

पहले दिन की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सीमा सुरक्षा बल के नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर के आइजी कमल नयन चौबे ने कहा कि दोनों देशों के खुफिया तंत्र को मजबूत किया जाना जरूरी है. बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम तीन दिवसीय भारत दौरे पर है. इस टीम में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के 20 अधिकारी शामिल हैं. बीएसएफ के नॉर्थ फ्रंटियर के आइजी कमल नयन चौबे ने बताया कि आपराधिक और आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिये खुफिया विभाग को तेजतर्रार करने की जरूरत है.

रीयल टाइम इंटेलिजेंस होना अति आवश्यक है. दोनों देशों के बीच समय रहते तथ्यों का आदान-प्रदान जरूरी है. अपराधियों और आतंकियों का कोई देश और धर्म नहीं होता है. ढाका के गुलशन में आतंकी हमले के बाद खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान नितांत जरूरी हो गया है. इसके लिये खुफिया विभाग को अत्याधुनिक यंत्रों से लैस करना होगा. इस दिशा में बांग्लादेश के बीजीबी को भी हर संभव कोशिश करनी होगी. खुफिया विभाग को पिछली नहीं बल्कि होने वाली घटनाओं की जानकारी देनी चाहिए. जिससे सतर्क रहा जा सके. श्री चौबे ने बताया कि दोनों देशों की सेना के बीच अच्छे संबंध हैं लेकिन वह काफी नहीं है. किसी भी जानकारी को दोनों सेनाएं जल्द से जल्द या अधिकतम तीन दिन के भीतर आदान-प्रदान करें. खुफिया विभाग की अग्रिम जानकारी से सेना को आगे काम करने में काफी सहायता मिलेगी. हमारे लिये प्रत्येक खुफिया जानकारी महत्वपूर्ण होती है. इसके अतिरिक्त दोनों देशों की सेना सीमांत इलाकों से जिसे भी गिरफ्तार करती है, उसकी पूरी जानकारी पड़ोसी देश को अविलंब दी जानी चाहिए, ताकि स्थानीय प्रशासन की मदद से आरोपी के संबंध में अधिक से अधिक जानकारी हासिल की जा सके. इससे दोनों देशों के संबंध में काफी सुधार होगा.
क्या कहते हैं बीजीबी के एडीजी
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (एडीजी) शहरयार अहमद चौधरी ने बताया कि आज की बैठक सफल रही है. सीमांत संबंधी समस्या पर काफी अच्छी चर्चा हुई है. हम समस्याओं को निपटाने में हर संभव प्रयास करने को तैयार हैं. सीमा के नियमों को सुनिश्चित करना होगा. अपराधियों को बख्शा नहीं जायेगा. खुली सीमा पर सुरक्षा को लेकर दोनों देशों को मिल कर कदम बढ़ाना होगा. हालांकि गुलशन आतंकी हमले पर बीजीबी ने कोई टिप्पणी नहीं की. बैठक में बीजीबी के एडिशनल डायरेक्टर जनरल के साथ उप डायरेक्टर जनरल मोहम्मद इकबाल, बीजीबी हेडक्वार्टर के स्टॉफ अधिकारी मोहम्मद हफिजूर रहमान, ठाकुरगांव सेक्टर के कमांडर व एडिशनल डायरेक्टर जनरल देवान मोहम्मद लियाकत अली, खुस्तिया सेक्टर के कमांडर महबूर रहमान, मोहम्मद जुल्फिरार अली, मुहम्मद शाहजहां सिराज, जाकिर हुसैन, मोहम्मद मातिउर रहमान सहित बीस अधिकारी मौजूद रहे. बैठक में बीएसएफ के नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर आइजी के अलावा साउथ बंगाल फ्रंटियर के आइजी संदीप सालुंके, गुवाहाटी फ्रंटियर के आइजी एसके श्रीवास्तव सहित 19 पदाधिकारी शामिल हुए थे.
29 को वापस लौटेंगे बांग्लादेश के अधिकारी
बीजीबी की इस टीम के सदस्य मंगलवार को सिलीगुड़ी पहुंचे हैं. आज की बैठक के बाद 27 जुलाई को बीएसएफ के साथ यह उत्तर बंगाल के कई सीमांत क्षेत्रों का दौरा करेंगे. इसके बाद बीजीबी के प्रतिनिधि कोलकाता के लिये रवाना होंगे. 29 जुलाई को सभी वापस बांग्लादेश लौट जायेंगे.
सुरक्षा के लिए खुली सीमाएं बनी हुई हैं परेशानी का सबब
एक आंकड़ा पेश करते हुए श्री चौबे ने बताया कि पिछले नवंबर माह से जून 2016 तक बीएसएफ के तीनों फ्रंटियर ने कुल 2473 बांग्लादेशियों को पकड़ा. जिनमें 518 लोग किसी न किसी आपराधिक योजना के तहत भारत आये थे. ऐसे लोग भी पाये गये जो बिना किसी खास मकसद से मात्र रोजगार की तलाश में अवैध रूप से सीमा पार कर भारत आये. इनकी कोई आपराधिक योजना नहीं थी.

अवैध रूप से सीमा पार करना अपराध है इसकी जानकारी होने के बाद भी ये लोग बिना किसी पुख्ता कागजात के सीमा पार कर जाते हैं. इसके अतिरिक्त सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों में कुछ नागरिक ऐसे भी हैं जो रोजाना सीमा पार करते रहते हैं. अवैध प्रवेश के लिये दोनों देशों के बीच खुली सीमाएं भी कुछ हद तक जिम्मेदार हैं. खुली सीमाएं हमेशा से ही समस्या बनी रही हैं. श्री चौबे ने बताया कि भारत-बांग्लादेश के बीच चार हजार साठ किलोमीटर का सीमांत इलाका है. जिसका 23 प्रतिशत यानी लगभग एक हजार किलोमीटर की सीमा खुली है. यहां तार का घेरा तक नहीं है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से ये खुली सीमाएं परेशानी का सबब हैं. इन खुली सीमाओं से ही मवेशी, नशीले पदार्थ, नकली नोट व हथियारों की तस्करी होती है. उत्तर बंगाल से सटे सीमांत इलाकों से नकली नोट और मवेशियों की काफी तस्करी हो रही है. बीएसएफ ने काफी कुछ पकड़ा भी है.

सीमा सुरक्षा पर खुली चर्चा
आइजी कमल नयन चौबे ने बताया कि मंगलवार की बैठक में दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा पर खुली चर्चा हुई. खुफिया जानकारी का समय से आदान-प्रदान पर सहमति भी बनी है. वैसे तो प्रत्येक उच्चस्तरीय बैठक में तथ्यों का आदान-प्रदान होता है, लेकिन खुफिया जानकारी समय रहते मिलने से काफी कुछ बदला जा सकता है. इससे दोनों देशों के रिश्तों में भी सुधार होगा. अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा. मवेशी, नशीले पदार्थ, नकली नोट आदि का जो सिंडिकेट बन चुका है, उसे समाप्त करना होगा.

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