कांग्रेस विधायक दल के प्रस्ताव के अनुसार माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती की जगह कांग्रेस विधायक मानस भुईंया को पीएसी का चेयरमैन बनाने के मुद्दे पर श्री मन्नान ने कहा कि विधानसभा में अध्यक्ष का निर्णय व नियम सर्वोच्च होता है, लेकिन संसदीय व्यवस्था में परंपरा का भी महत्व है. लोकसभा व विधानसभा में परंपरा है कि विपक्ष के नेता के प्रस्ताव के अनुसार ही पीएसी कमेटी का चेयरमैन नियुक्त होता है, लेकिन यहां परंपरा का उल्लंघन हुआ है. इसके खिलाफ सत्तारूढ़ दल उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की बात कही है.
यदि उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाया जाता है, तो वह इसका स्वागत करेंगे. सरकार ने उनके सुरक्षाकर्मियों को हटा लिया था. उन्हें जान से मारने की धमकी दी गयी थी. इसके बावजूद उन्होंने कभी भी गलत नीतियों से समझौता नहीं किया है. वह सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ विरोध के मद्देनजर जेल जाने को भी तैयार हैं.
यह पूछे जाने पर कि वह माकपा विधायक सुजन चक्रवर्ती का पक्ष ले रहे हैं, जबकि अपने ही विधायक मानस भुईंया को पीएसी के चेयरमैन बनाये जाने का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2005 में तत्कालीन विरोधी दल की नेता ममता बनर्जी सौगत राय को पीएसी का चेयरमैन बनाना चाहती थीं, जबकि तत्कालीन अध्यक्ष दिवंगत हासिम अब्दुल हलीम सुब्रत मुखर्जी को चेयरमैन बनाना चाहते थे. दोनों ही तृणमूल कांग्रेस के ही विधायक थे, लेकिन उस समय उन्होंने ममता का पक्ष लिया था, क्योंकि पीएसी के पद पर विरोधी दल का अधिकार होता है.