कोलकाता : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि तमिलनाडु को छोड़ एक तरह से सभी राज्यों ने जीएसटी के विचार का समर्थन किया है. जीएसटी पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक के बाद उन्होंने यह बात कही. स्पष्ट किया कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के लिए समय-सीमा जैसी कोई बात नहीं है. यह राज्य व केंद्र स्तर पर लगने वाले विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को स्वयं में समाहित करेगा. पहले सरकार ने एक अप्रैल, 2016 से देशव्यापी एकल कर व्यवस्था लागू करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन कांग्रेस के विरोध से जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में अटका है.
बैठक में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा अरुणाचल प्रदेश व मेघालय के मुख्यमंत्रियों के साथ दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री समेत 22 राज्यों के वित्त मंत्री इसमें शामिल हुए. इसके अलावा सात अन्य के वरिष्ठ अधिकारी व राजस्व सचिव हसमुख अधिया भी बैठक में मौजूद थे. जेटली ने कहा कि बैठक में वित्त मंत्रियों की रिकार्ड उपस्थिति रही. हर राज्य ने जीएसटी पर विस्तृत विचार रखें.
कहां है पेच, आगे क्या
लोकसभा ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है, जबकि यह राज्यसभा में लंबित है. ऐसे में इस संविधान संशोधन विधेयक को पहले संसद से पारित करवाना पड़ेगा, फिर राज्यों को भी उस पर मुहर लगानी पड़ेगी. उसके बाद संसद को केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) विधेयक व राज्यों को राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) विधेयकों को पारित करना होगा.
मॉनसून सत्र में होगा पेश
भविष्य की रूपरेखा के संदर्भ में अरुण जेटली ने कहा कि हम संसद के माॅनसून सत्र में संविधान संशोधन को लाने की भरसक कोशिश करेंगे. उसके बाद सीजीएसटी व एसजीएसटी विधेयकों को पारित किया जायेगा. राजस्व निरपेक्ष दर के आकलन के बारे में कहा कि जुलाई (संभवत: दूसरा सप्ताह)में अधिकार प्राप्त समिति की बैठक होगी. केंद्र व राज्यों द्वारा कर दरों पर दोहरे नियंत्रण पर कहा कि यह भी समिति देखेगी कि यह सौहार्दपूर्ण हो. कोई विरोध नहीं हो.
शंकाओं का हुआ समाधान
जेटली ने कहा कि पहले पांच साल के लिए राजस्व के नुकसान को लेकर राज्यों की आशंका का समाधान कर दिया गया है. केंद्र नुकसान की भरपाई करेगा. ऐसे में चिंता का कोई कारण नहीं होना चाहिए. जीएसटी दर की संवैधानिक सीमा के जटिलता के मुद्दे पर कहा कि इस पर आम सहमति है, कोई संवैधानिक सीमा नहीं होनी चाहिए, क्योंकि भविष्य में कई तरह की जरूरत हो सकती है.इसे जीएसटी परिषद पर छोड़ा गया है. उत्पादक राज्यों की एक प्रतिशत अतिरिक्त कर के मुद्दे पर कहा कि केंद्र इस मामले में लचीला रुख अपनाये हुए है.
चूंकि जीएसटी खपत आधारित कर है, उत्पादक राज्य अतिरिक्त कर की मांग करते रहते हैं.