उल्लेखनीय है कि श्री मित्रा के जेल बंदी रहने के समय विधायक तापस राय कमरहट्टी विधानसभा क्षेत्र पर निगरानी रख रहे थे. कोई समस्या अाने पर वहां के तृणमूल समर्थक श्री राय के पास जाते थे. हालांकि स्थानीय तृणमूल नेता इस फेरबदल पर चुप्पी साधे हुए हैं. श्री मित्रा के समर्थकों का कहना है कि कई नेता व मंत्री होने के बावजूद रोगी कल्याण समिति के चेयरपर्सन बनाये गये हैं, लेकिन श्री मित्रा से यह पद छिनना उचित नहीं है. श्री मित्रा ने पार्टी का कभी भी विरोध नहीं किया है. ऐसी स्थिति में श्री मित्रा के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है, दूसरी ओर, तृणमूल नेताओं का कहना है कि चुनाव में पराजय के बाद ही श्री मित्रा को इस पद से हटाया गया है.
इससे श्री मित्रा को राहत ही मिलेगी. उन पर लगा प्रभावशाली का तमगा भी हटेगा. जिससे जमानत मिलने में उन्हें सुविधा होगी. इस कारण ही उन्हें रोगी कल्याण समिति के पद से हटाया गया है. दूसरी ओर, विधानसभा चुनाव में पराजय के बावजूद पूर्व स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य को विधानचंद्र शिशु अस्पताल का चेयरपर्सन बनाया गया है.
इंगलिशबाजार से पूर्व मंत्री कृष्णेंदु नारायण चौधरी पराजित हुए हैं. उन्हें भी मालदा मेडिकल कॉलेज रोगी कल्याण समिति का चेयरमैन फिर से बनाया गया है. इसी तरह से बालूरघाट से पराजित पूर्व मंत्री शंकर चक्रवर्ती को भी बालूरघाट अस्पताल रोगी कल्याण समिति का चेयरमैन फिर से बनाया गया है. विष्णुपुर के पूर्व विधायक व पूर्व वस्त्र मंत्री श्यामाप्रसाद मुखोपाध्याय को बांकुड़ा कॉलेज की जगह विष्णुपुर जिला अस्पताल रोगी कल्याण समिति का चेयरमैन बनाया गया है. बशीरहाट उत्तर से पराजित एटीएम अब्दुल्ला को बशीरहाट जिला अस्पताल रोगी कल्याण समिति का चेयरमैन बनाया गया है. उत्तर कार्शियांग की शांता छेत्री व बांकुड़ा से पराजित तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार मिनती मिश्र को क्रमश: दार्जिलिंग जिला अस्पताल व बांकुड़ा सम्मेलनी मेडिकल कॉलेज रोगी कल्याण समिति का चेयरपर्सन बनाया गया है.