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बंगाल में कांग्रेस से तालमेल का असर केरल चुनाव पर नहीं

कोलकाता: केरल का माकपा नेतृत्व इस बात को लेकर आश्वस्त है कि पश्चिम बंगाल में वाममोरचा और कांग्रेस की बीच के तालमेल का केरल में पार्टी की संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि सूबे का राजनीतिक गणित अलग है. केरल में माकपा के नेतृत्ववाले वाम लोकतांत्रिक मोरचा (एलडीएफ) की सीधी लड़ाई कांग्रेस की अगुवाई […]

कोलकाता: केरल का माकपा नेतृत्व इस बात को लेकर आश्वस्त है कि पश्चिम बंगाल में वाममोरचा और कांग्रेस की बीच के तालमेल का केरल में पार्टी की संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि सूबे का राजनीतिक गणित अलग है. केरल में माकपा के नेतृत्ववाले वाम लोकतांत्रिक मोरचा (एलडीएफ) की सीधी लड़ाई कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोरचा (यूडीएफ) से है. एलडीएफ को लगता है कि बंगाल का चुनावी तालमेल वहां की अलग जमीनी स्थिति की देन है.
माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य एमए बेबी ने बताया कि 2011 में कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस के साथ गंठबंधन किया था और तत्कालीन वाममोरचा सरकार को हटाने में उसकी मदद की थी. अब कांग्रेस को अपनी गलती का एहसास हुआ है और राज्य की जमीनी स्थिति के आधार पर समझौता हुआ है. बेबी ने कहा कि बंगाल में वाममोरचा और कांग्रेस के बीच हुए तालमेल का केरल में पार्टी की संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि वामपंथी दल केरल में कांग्रेस सरकार के अत्याचारों के खिलाफ लड़ रहे हैं.
हालांकि केरल के माकपा नेताओं के एक धड़े का मानना है कि बंगाल में वामपंथी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ किये गये प्रचार से केरल में भाजपा को चुनाव प्रचार के लिए एक मुद्दा मिल गया है. केरल के एक माकपा नेता ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया वे लोग अच्छी तरह ये समझते हैं कि बंगाल में लोकतंत्र की फिर से बहाली जरूरी है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस की सरकार में पिछले पांच वर्षों में हमारे सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गयी, इसी कारण कांग्रेस के साथ चुनावी समझौता की योजना बनायी गयी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ गंठबंधन या कांग्रेस के साथ मंच साझा करने का फैसला माकपा केंद्रीय समिति का नहीं था. केरल के एक और वाम नेता ने इस बात की ओर इशारा किया कि पार्टी की अंतिम पूर्ण बैठक में अपनाये गये पार्टी के आधिकारिक रुख और इसमें विरोधाभास हैं, क्योंकि अंतिम पूर्ण बैठक में कांग्रेस और भाजपा से दूरी बनाये रखने का फैसला लिया गया था. नाम नहीं बताने की शर्त पर उन्होंने कहा कि माकपा एक राष्ट्रीय दल है ना कि क्षेत्रीय दल. ऐसे में पार्टी को पार्टी कांग्रेस में लिये गये फैसले पर अडिग रहना था.
बंगाल में माकपा के राज्य सचिव मंडली के सदस्य नेपालदेव भट्टाचार्य ने कहा कि बंगाल में कांग्रेस से तालमेल तृणमूल कांग्रेस की निरंकुश सरकार से लड़ने के लिए लोगों की मांग पर बनाया गया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में जब वाममोरचा ने केंद्र में संप्रग का समर्थन किया था तो इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा नहीं था. वहीं, केरल में यूडीएफ और एलडीएफ के विकल्प के तौर पर उभरने की उम्मीद लगा रही भाजपा बंगाल में वाममोरचा और कांग्रेस के तालमेल को मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश में लगी है.

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