उसके बाद वह कांग्रेस में आये और तृणमूल कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ वाम मोरचा के साथ गंठबंधन की शुरुआत करनेवाले कांग्रेस के नेताओं में श्री घोष प्रमुख हैं. उन्होंने उत्तर 24 परगना के माकपा के नेता गौतम देव के साथ मिल कर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कांग्रेस व माकपा के बीच आपसी तालमेल की वकालत की और अंतत: वह सफल हुए. सारधा चिटफंड घोटाले के खिलाफ सेव डेमोक्रेसी फोरम के साथ मिल कर तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमला बोला. श्री घोष अपनी चुनावी सभाओं में तृणमूल कांग्रेस के पांच वर्षों के कुशासन और भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं. इसके साथ ही वह मतदाताओं के पास विधाननगर में सिंडिकेट राज को भी अपना मुद्दा बना कर मतदाताओं को लुभा रहे हैं. वहीं, तृणमूल उम्मीदवार सुजीत बोस अपने पुराने अंदाज में मतदाताओं को लुभा रहे हैं तथा तृणमूल कांग्रेस के शासन में विकास और माकपा के अत्याचार को आम मतदाताओं के सामने रख रहे हैं.
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विधाननगर में महारथियों के बीच मुकाबला
कोलकाता. विधाननगर विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला दमदार होने की संभावना है. इस विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस ने विधायक सुजीत बोस को फिर से उम्मीदवार बनाया है, जबकि अरुणाभ घोष को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. श्री घोष को वाम मोरचा ने समर्थन दिया है. भाजपा ने सुशांत रंजन पाल को अपना उम्मीदवार बनाया […]
कोलकाता. विधाननगर विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला दमदार होने की संभावना है. इस विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस ने विधायक सुजीत बोस को फिर से उम्मीदवार बनाया है, जबकि अरुणाभ घोष को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. श्री घोष को वाम मोरचा ने समर्थन दिया है. भाजपा ने सुशांत रंजन पाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. विधाननगर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में हिंदीभाषी भी बड़ी संख्या में हैं तथा चुनाव में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
श्री बोस विकास के आधार पर चुनाव में वोट मांग रहे हैं. कभी पूर्व परिवहन मंत्री व वामपंथी नेता दिवगंत सुभाष चक्रवर्ती के काफी करीब रहे श्री बोस ने बाद में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप मेें श्री चक्रवर्ती को चुनौती दी थी. वह विधाननगर में दिवंगत श्री चक्रवर्ती के लालकिले किले को भेदनेवाले तृणमूल नेताओं में से वह एक हैं. विधाननगर इलाके में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है.
वहीं, वाम मोरचा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार अरुणाभ घोष कांग्रेस के उन पुराने नेताओं में से हैं, जिन्होंने कभी तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ मिल कर वाम मोरचा के खिलाफ आवाज उठायी थी. तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर दमदम विधानसभा क्षेत्र से विजयी भी हुए थे, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान ही उनका सुश्री बनर्जी के साथ मतभेद हुआ था और उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.
विधाननगर के स्थानीय निवासी का कहना है कि विधानसभा का यह चुनाव सत्ता के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता का चुनाव है. वहीं तृणमूल उम्मीदवार श्री बसु और वाम मोरचा समर्थित कांग्रेस के उम्मीदवार श्री घोष की संगठन दक्षता की भी परीक्षा है, क्योंकि दोनों ही संगठन के मामले में दमदार माने जाते हैं. इसके साथ ही दोनों ही अच्छे वक्ता हैं और आम मतदाताओं में लोकप्रिय हैं. भाजपा ने सुशांत रंजन पाल भी चुनाव प्रचार में अपना पूरा दमखम लगा रहे हैं. भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
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