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चुनावी रंग में रंगीं इमारतें

कोलकाता. महानगर में यूं तो चौथे व पांचवें चरण में अर्थात 21 व 30 अप्रैल काे वोट डाले जायेंगे. पर चुनावी सरगरमी अभी से ही उफान पर है. सभी दल व गठबंधन के उम्मीदवार फिलहाल घर-घर जा कर वोटरों को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं. शहर की सभी दीवारें चुनावी नारों से रंगीन हो […]

कोलकाता. महानगर में यूं तो चौथे व पांचवें चरण में अर्थात 21 व 30 अप्रैल काे वोट डाले जायेंगे. पर चुनावी सरगरमी अभी से ही उफान पर है. सभी दल व गठबंधन के उम्मीदवार फिलहाल घर-घर जा कर वोटरों को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं. शहर की सभी दीवारें चुनावी नारों से रंगीन हो चुकी हैं, वहीं पूरा शहर चुनावी बैनर, पोस्टर, होर्डिंग, फ्लैक्स इत्यादि से पूरी तरह ढक सा गया है.

महानगर के कई इलाकों में लगे विशालकाय चुनावी होर्डिंगों ने पूरी की पूरी इमारतों को ही अपनी शरण में ले लिया है. बड़े-बड़े होर्डिंग को अगर किसी बात का पैमाना माना जाये तो इस मामले में शासक दल ने सभी पर बाजी मार ली है. घरों के सामने लगाये गये बड़े-बड़े चुनावी होर्डिंग ने तो घरों का पता-ठिकाना तक बदल कर रख दिया है. बैनर-होर्डिंग के इस रेस में चुनाव आयोग भी शामिल है. मतदान करने के प्रति वोटरों को जागरूक करने के लिए आयोग ने बड़ी संख्या में होर्डिंग व बैनर लगाया है.

चुनावी होर्डिंग व बैनर लगाने की इस रेस में महानगर का वह सौंदर्यीकरण अभियान भी गुम हो गया है. जिसे तृणमूल ने एक प्रमुख चुनावी हथियार बना रखा है. सबसे बड़ी बात यह है कि इन होर्डिंग, बैनर, फ्लैक्स इत्यादि को लगाने के लिए कोई भी राजनीतिक दल किसी से इजाजत नहीं ले रहा है, जिसे जहां भी मौका मिल रहा है, वह अपनी मर्जी का होर्डिंग लगा दे रहा है. महानगर में किसी भी तरह का होर्डिंग व बैनर लगाने के लिए फीस वसूलने वाला कोलकाता नगर निगम भी इस बारे में खामोश है. अधिकारी होर्डिंग लगाने के एवज मिलने वाली फीस के लिए किसी भी राजनीतिक दल को नोटिस भेजने का साहस नहीं कर पा रहे हैं.

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