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तकनीक से आदमी के दिमाग की करेंगे कॉपी

कोलकाता/खड़गपुर. आइआइटी खड़गपुर में चल रहे रोबोटिक्स फेस्ट के दौरान भारत का पहला थ्री-डी प्रिंटेड ह्यूमनॉयड रोबोट ‘मानव’ बनानेवाले 24 वर्षीय दिवाकर वैश ने छात्रों को रोबोटिक्स से जुड़ी अहम जानकारियां दीं. रोबोटिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट ए-सेट ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, दिल्ली के रिसर्च हेड दिवाकर बैश द्वारा बनाये गये मानव रोबोट को पिछले साल देश-विदेश […]

कोलकाता/खड़गपुर. आइआइटी खड़गपुर में चल रहे रोबोटिक्स फेस्ट के दौरान भारत का पहला थ्री-डी प्रिंटेड ह्यूमनॉयड रोबोट ‘मानव’ बनानेवाले 24 वर्षीय दिवाकर वैश ने छात्रों को रोबोटिक्स से जुड़ी अहम जानकारियां दीं. रोबोटिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट ए-सेट ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, दिल्ली के रिसर्च हेड दिवाकर बैश द्वारा बनाये गये मानव रोबोट को पिछले साल देश-विदेश में काफी सराहा गया था. भारत के पहले थ्री-डी प्रिंटेड ह्यूमनॉयड रोबोट को ‘मानव’ नाम दिया गया है. इस दौरान दिवाकर वैश ने अपने अगले प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि वह एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, जिससे आदमी के दिमाग को कॉपी किया जा सकता है.

हमारा दिमाग एक बार में उतना काम नहीं कर सकता, जितना कंप्यूटर कर सकता है. उन्होंने कहा की ब्रेन को कॉपी कर एक सुपर कंप्यूटर में डाल कर कंप्यूटर क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. अभी तक कंप्यूटर केवल उतना ही कर सकता है, जीतनी उसमें प्रोग्रामिंग होगी, लेकिन इससे कंप्यूटर की क्षमता बढ़ेगी. कंप्यूटर में एक साथ डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक के ब्रेन को कॉपी कर दिया जाये, तो नतीजे हैरान करनेवाले होंगे. दिवाकर इस रिसर्च पर लगे हुए हैं. दिवाकर वैश ने ‘मानव’ के बारे में छात्रों को बताया कि यह 60 सेंटीमीटर लंबा और वजन दो किलो है. मानव को 3डी प्रिंटर की मदद से बनाया गया है. इसके पुर्ज़ों को फैक्टरी में नहीं, बल्कि कंप्यूटर में फ़ीड की गयी डिज़ाइन से बनाया है. ह्यूमनॉयड रोबोट का अभिप्राय वैसे रोबोट से है, जो दिखने में इंसानों की तरह हो. ‘मानव’ का कद दो फीट है, जबकि इसका वजन करीब दो किलो है. इसमें 21 सेंसर लगे हैं. दोनों आंखों में कैमरे लगे हैं. सिर में दो माइक लगे हैं. सबसे बड़ी खासियत यह है कि रोबोट अपने किसी भी पुर्जे को कुछ मिनटों में बना सकता है.


यह रोबोट अन्य ह्यूमेनॉयड रोबोट से कई मामलों में अलग है. ‘मानव’ की सबसे बड़ी विशेषता है, कि यह बिना प्री-प्रोग्राम्ड सेंसर के काम करता है. इन-बिल्ट रूप से यह चीजों को देख और सुन सकता है. इसके लिए इसको किसी तरह के कमांड देने की जरूरत नहीं है.

यह रोबोट खुद ही कई कामों को करने में सक्षम है. यह अपना सिर और गर्दन हिला सकता है. इसकी मदद से यह चल सकता है, नाच सकता है और बात कर सकता है. यह रोबोट अपने हाथों को ऊपर उठा सकता है. पुश अप मार सकता है. यह हमारे दिशा-निर्देशों का पालन करता है. इसके कानों में दो हेडफोन भी लगे हैं.


यह लिथियम बैटरी से चलता है. एक बार चार्ज करने पर बैटरी एक घंटा काम करता है. इसके सभी पार्ट्स भी भारत में बने हुए हैं. इसलिए इसकी कीमत 1.52 लाख से 2.5 लाख रुपये के बीच है. ग्राहक अपनी पसंद के अनुसार, इसे कस्टमाइज कर सकते हैं. दिवाकर अपने इस रोबोट मानव को जल्द बाज़ार में उतारना चाहते हैं. इसकी कीमत डेढ़ लाख से दो लाख रुपये हो सकती है. ए-सेट ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक उदय वैश ने कहा कि पहला रोबोट जब बनाया, तब वह 12वीं क्लास में थे. उनकी इस प्रतिभा को देखते हुए संस्थान नें उन्हे‍ं व उनकी टीम को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. संस्थान का लक्ष्य भारत को रोबोटिक्स में विश्व के नक्शे पर लाना है.

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