तृणमूल कांग्रेस के चार सालों के दौरान राज्य पर 90,991 करोड़, 80 लाख का कर्ज का भार बढ़ गया है. इस कारण 2010-11 के दौरान राज्य सरकार को 13, 813 करोड़, 30 लाख रुपये का ब्याज का भुगतान करना पड़ता था, जो 2014-15 में बढ़ कर 21,587 करोड़ 99 लाख हो गया है.
तृणमूल कांग्रेस के चार वर्षों के शासनकाल में ब्याज में 7,774 करोड़ 69 लाख रुपये का इजाफा हुआ है. 2010-11 तक बंगाल में प्रति व्यक्ति कर्ज 28 हजार रुपये था, जो 2014-15 में बढ़ कर 42 से 44 हजार रुपये हो गया है. उन्होंने कहा कि राज्य को अपने राजस्व से 2010-11 में 21 हजार, 128 करोड़ 74 लाख की आय की उगाही होती थी, 2014-15 में यह बढ़ कर 39 हजार, 411 करोड़ 96 लाख रुपये हो गया है. तृणमूल के शासन में 18 हजार 283 करोड़ 22 लाख रुपये का राजस्व बढ़ा है.
वाममोरचा शासन की तुलना में यूपीए (दो) के अंतिम समय में 2014-15 में केंद्रीय करों में राज्य की भागीदारी की बढ़ने से राज्य को 8 हजार 640 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले थे. केंद्रीय मदद में भी 13 हजार 80 करोड़ 65 लाख अधिक मिले थे, लेकिन राज्य सरकार के योजना के अभाव व बेहिसाब खर्च के कारण राज्य दिनों-दिन दिवालियापन की ओर बढ़ रहा है. इसी कारण राजस्व आय में वृद्धि होने के बावजूद राजस्व घाटा 2010-11 में भी 17 हजार 273 करोड़ 33 लाख था तथा 2014-15 में भी राजस्व घाटा 17 हजार, 137 करोड़ तथा 40 लाख ही रहा तथा आर्थिक घाटा 2010-11 में 19 हजार 534 करोड़ तथा 96 लाख था. वह 2014-15 में बढ़ कर 27 हजार 345 करोड़ 29 लाख हो गया है.