हावड़ा. आखिर कब खुलेगा रामकृष्णपुर को-ऑपरेटिव बैंक, इस सवाल को लेकर खाताधारक चिंतित हैं. चिंता इस बात की है कि उम्र भर की जो जमापूंजी इकट्ठी की थी, क्या वह मिलेगी भी या नहीं. रकम डूबने की चिंता में कई चीता धधक उठी. कई तो बीमार होकर घर का बोझ बने हुए हैं.
उनके पास दवा तक के लिए पैसे नहीं हैं. 62 वर्षीय श्याम दा मरते-मरते पूछ रहे थे कि ‘कि रे टाका टा पाबो तो?’ धनसुख गोंड की लड़की का विवाह पैसे के कारण नहीं हो रहा, जबकि रामकृष्णपुर बैंक में रिटायर्ड होने के बाद सारी रकम इस आशा में जमा की थी कि जब लड़की विवाह के लायक हो जायेगी, तो उसी जमापूंजी से उसकी धूमधाम से शादी करेंगे. ऐसे एक नहीं, हजारों की संख्या में तकदीर के मारे हैं, जिनके रुपये हावड़ा थाना अंतर्गत चारु चंद्रा सिंहा लेन स्थित रामकृष्णपुर को-ऑपरेटिव बैंक में जमा पड़े हैं.
आखिर क्या कारण है कि पांच वर्षों से बंद बैंक नहीं खुल रहा है, इस प्रश्न पर प्रधान याचिकाकर्ता सुदीप चक्रवर्ती का कहना है कि रामकृष्णपुर को-ऑपरेटिव बैंक में कुल खाताधारकों की संख्या 21 हजार है और खातों की संख्या लगभग 43 हजार है. 4 अगस्त 2010 को बैंक बंद हो गया था. उनका कहना है कि बैंक को खोलने का आर्डर कोलकाता हाइकोर्ट ने दे दिया है, इसके बावजूद राज्य सरकार लापरवाही बरत रही है. इस केस की जांच कर रहे हाइकोर्ट के स्पेशल ऑफिसर जस्टिस सुभाष राय ने डेढ़ साल की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की थी, तब हाइकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार, रिजर्व बैंक व बैंक के फोरम के सदस्य एक बैठक कर आपसी सहमति से इसे खोलें, लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है.
ज्ञात हो कि 2010 में वाम मोरचा की सरकार ने घाटे में चल रहे आठ को-ऑपरेटिव बैंक को बंद होने से बचाने के लिए 108 करोड़ 22 लाख 12 हजार रुपये आबंटित किये थे, लेकिन उस वक्त सात को-ऑपरेटिव बैंक को रकम तो आबंटित कर दिये गये, परंतु रामकृष्णपुर को-ऑपरेटिव बैंक के खाते में आये 50 करोड़ 57 लाख रुपये नहीं दिये गये. तत्कालीन सरकार की ओर से तीन किस्तों में रकम तो दिये गये, लेकिन वे रकम बैंक तक पहुंचे ही नहीं, जिसके कारण 4 अगस्त 2010 को बैंक में ताला लग गया. उसके बाद रामकृष्णपुर को-ऑपरेटिव बैंक कस्टमर वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कलकत्ता हाइकोर्ट में एक मामला दर्ज कराया गया. 2011 में तृणमूल सरकार के सत्ता संभालने के बाद लोगों की आशा बंधी कि अब बैंक को सरकार के पास जमा पड़ी रकम मिल जायेगी, लेकिन वर्तमान सरकार की लापरवाही के कारण वह रकम आज भी सरकार के पास है. अगस्त 2015 में मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा था कि जल्द से जल्द बैंक को खोलने के लिए रिजर्व बैंक, राज्य सरकार और फोरम के अधिकारी बैठक करें.
फोरम के सदस्य व प्रधान याचिकाकर्ता सुदीप चक्रवर्ती ने कहा कि रिजर्व बैंक का कहना है कि इस बैंक को खोलने के लिए वह तभी लाइसेंस दे सकता है, जब राज्य सरकार रिजर्व बैंक को को-अॉपरेटिव बैंक को आबंटित की हुई रकम अर्थात 50 करोड़ 57 लाख रुपये सौंप दे. कृषि विपणन मंत्री अरुप राय ने कहा है कि हमारी सरकार की चेष्टा है कि आमलोगों की रकम उसे मिलनी चाहिए. मैं कोशिश कर रहा हूं कि जल्द से जल्द बैंक खुले और आमलोगों को उनके पैसे मिल जाये. उन्होंने कहा कि यह पैसा रोजमर्रा की जिंदगी जीनेवालों की है. बैंक खोलने के लिए जो किया जा सकता है, मैं कर रहा हूं.
बैंक खोलने की मांग को लेकर धरना
पांच वर्षों से बंद पड़े रामकृष्णपुर को-ऑपरेटिव बैंक को पुन: खोलने की मांग को लेकर मंगलवार को लगभग 200 ग्राहकों ने बैंक के सामने धरना दिया. उन्होंने मांग की कि यथाशीघ्र बैंक को खोल कर उनकी रकम वापस की जाय. रामकृष्णपुर को-ऑपरेटिव बैंक कस्टमर वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक धरना-प्रदर्शन किया गया. इस मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण चक्रवर्ती, सचिव सुदीप दास, सदस्य अतनू मित्र एवं प्रधान याचिकाकर्ता सुदीप चक्रवर्ती ने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण ही आज बैंक बंद है, जबकि कलकत्ता हाइकोर्ट ने इसे खोलने का आदेश दे दिया है. उन्होंने कहा कि अगर बैंक को जल्द नहीं खोला गया, तो वे इससे भी बड़ा आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं.