आरोप के मुताबिक, भाजपा नीत केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार की नीति जनविरोधी है. इतना ही नहीं कई मुद्दों को लेकर भाजपा-तृणमूल के बीच मैच फिक्सिंग हो चुकी है. आरोप के अनुसार जनविरोधी बिल को पास कराने के लिए भाजपा को तृणमूल कांग्रेस की जरुरत है तो राज्य में सारधा कांड की जांच में नरमी बरते जाने के लिए तृणमूल को भाजपा से थोड़ी रियायत दी जाने की उम्मीदें हैं. जीएसटी बिल के मुद्दे पर येचुरी ने कहा कि केंद्र सरकार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करनी चाहिए. ध्यान रहे कि शुक्रवार को भी माकपा राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक समाप्त हुई. बैठक का मूल विषय 27 दिसंबर से शुरू होने वाले माकपा के पूर्ण अधिवेशन की तैयारी ही रहा.
श्री येचुरी ने कहा कि भाजपा को राज्यसभा में तृणमूल का सहयोग चाहिए वहीं तृणमूल को सारधा घोटाले से सीबीआइ के भय से निजात की जरूरत है. दोनों ही एक दूसरे की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिल रहे हैं. यह एक तरह से मैच फिक्सिंग है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि भाजपा और तृणमूल के बीच यह अंडरटेबल समझौता है. तृणमूल को सारधा घोटाले की सीबीआइ जांच से डर लग रहा है. उसे समझ नहीं अा रहा कि अब किसका नाम इस घोटाले में सामने आ जायेगा. इसलिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री के साथ मिलकर इससे निजात पाने की कोशिश कर रही हैं. उल्लेखनीय है कि आठ दिसंबर को मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात होगी. सूत्रों के मुताबिक बैठक में मुख्यमंत्री सारधा की जांच के संबंध में सीबीआइ के खिलाफ प्रधानमंत्री से शिकायत कर सकती हैं. तृणमूल का मानना है कि सीबीआइ बदले की कार्रवाई के तहत सारधा घोटाले की जांच में तृणमूल नेताओं के नाम इसमें जोड़ रही है.