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एनएच 34: भूमि मालिकों को मुआवजा न मिलने से हाइकोर्ट सख्त, पूछा क्या पैसे लुटा रही सरकार

कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश संजीव बनर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के लिए जमीन देनेवाले किसानों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि किसानों को उनकी जमीन के एवज में मिलने वाले रुपये को क्या राज्य सरकार नेताजी इंडोर स्टेडियम से लुटा रही है. केंद्र सरकार ने […]

कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश संजीव बनर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के लिए जमीन देनेवाले किसानों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि किसानों को उनकी जमीन के एवज में मिलने वाले रुपये को क्या राज्य सरकार नेताजी इंडोर स्टेडियम से लुटा रही है.
केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए जमीन देनेवालों को मुआवजा देने के मकसद से 600 करोड़ रुपये दिये हैं, लेकिन भूमि मालिकों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है. मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर के रहनेवाले जमीनदाता रविउल इसलाम सहित 22 लोगों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार के लिए अपनी जमीनें दी हैं. केंद्र सरकार ने जमीन की कीमत राज्य सरकार को चुका भी दिया है. लेकिन राज्य सरकार द्वारा अब तक उनकी जमीन की कीमत नहीं दी गयी है.

गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं था. ऐसे में हाइकोर्ट के न्यायाधीश संजीव बनर्जी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि क्या राज्य सरकार इस प्रकार के महत्वपूर्ण परियोजना को गंभीरता से नहीं ले रही है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग-34 उत्तर बंगाल व दक्षिण बंगाल के जिलों के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इनके लिए फंड तो केंद्र सरकार ने दिये हैं तो राज्य सरकार को इन रुपयों को भूमि मालिकों को देने में क्या दिक्कत है. क्या इन्हीं रुपयों को तो नेताजी इंडोर स्टेडियम में लुटाया नहीं जा रहा है? उन्होंने राज्य सरकार को जल्द से जल्द इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.

क्या है मामला
गौरतलब है कि एनएच-34 के विस्तार के लिए वर्ष 2010 में अधिसूचना जारी हुई थी. पहले स्थानीय लोग जमीन देने के लिए तैयार नहीं थे. बाद में जिलाधिकारी के साथ बैठक कर जमीन की कीमत तय हुई. उसके बाद लोगों ने योजना के लिए जमीन दी थी. लेकिन उन्हें इसका मुआवजा नहीं मिला है. ज्ञात है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 10 हजार क्लबों को आर्थिक मदद दी थी. इन क्लबों को 140 करोड़ रुपये बांटे गये थे.

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