कोलकाता: राज्य में पंचायत चुनाव का रास्ता साफ हो गया है. मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्र और जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने तीन चरणों में पंचायत चुनाव कराने का निर्देश जारी करते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी हो जानी चाहिए. खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पंचायत चुनाव कराने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की 800 कंपनियों की मांग की गयी थी.
अदालत ने निर्देश दिया कि अगर सुरक्षा बलों की कमी होती है तो राज्य इसके लिए दूसरे राज्यों या केंद्र से आग्रह कर सकता है. इस संबंध में राज्य सरकार ही फैसला करेगी लेकिन वह राज्य चुनाव आयोग से सलाह भी करेगी. एकल पीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही खंडपीठ ने निर्देश दिया कि राज्य चुनाव आयोग से वास्तववादी (प्रैक्टिकल) सलाह मशविरा करके सरकार तीन चरणों में चुनाव की तारीखों को अधिसूचित करे.
राज्य चुनाव आयोग द्वारा मांगे गये 400 पर्यवेक्षकों में से शेष 134 पर्यवेक्षकों की सूची तीन दिनों के भीतर देने होंगे. ये पर्यवेक्षक कम से कम सहायक सचिव स्तर के होने होंगे. खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग के इस तर्क को नामंजूर कर दिया कि जिसमें पंचायत चुनाव कराने के लिए केंद्रीय बलों की 800 कंपनियों की जरूरत बतायी गयी थी. अदालत ने निर्देश दिया कि जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार दूसरे राज्यों या केंद्र से सुरक्षा बलों को मंगा सकती है.
अदालत ने कहा कि निर्वाचन आयोग की जरूरत के मुताबिक हथियारबंद सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराना राज्य सरकार पर निर्भर करता है और अगर कमी पड़ती है तो इससे राज्य सरकार निपटेगी. अदालत ने पंचायत चुनाव के लिए चार श्रेणियों अति संवेदनशील, संवेदनशील, कम संवेदनशील और सामान्य श्रेणी में 57 हजार मतदान केंद्र बनाने की सीमा निर्धारित की.
अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक अति संवेदनशील मतदान केंद्र पर दो हथियारबंद पुलिसकर्मी और दो बिना हथियार वाले सिपाही तैनात होंगे और हर संवेदनशील मतदान केंद्र पर दो हथियारबंद पुलिसकर्मी वह एक बिना हथियार का सिपाही तैनात होगा. इसी तरह कम संवेदनशील श्रेणी के प्रत्येक परिसर में एक हथियारबंद पुलिसकर्मी और एक बिना हथियार का सिपाही तैनात रहेगा. सामान्य श्रेणी में प्रत्येक परिसर में एक हथियारबंद पुलिसकर्मी तैनात होगा. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि वर्ष 2008 की तरह ही स्ट्रॉन्ग रूम, सेक्टर ऑफिस व हाइ पैट्रोलिंग की व्यवस्था की जाये. उल्लेखनीय है कि राज्य में दो चरणों में पंचायत चुनाव कराने के राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देते हुए आयोग ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. आयोग का कहना था कि यह एकतरफा निर्णय है.
आयोग ने कहा था कि निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण तरीके से पंचायत चुनाव कराने के लिए केंद्रीय बलों की 800 कंपनियों की जरूरत है. एकल पीठ (सिंगल बेंच) में न्यायाधीश विश्वनाथ समाद्दार ने गत 10 मई को राज्य चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित तिथियों पर ही राज्य मे तीन चरणों में पंचायत चुनाव कराने का निर्देश देते हुए कहा था कि इसके लिये केंद्रीय सशस्त्र बल की मदद ली जाये.