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वित्त मंत्रालय का पत्र लेने से किया इनकार

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इमेज पर एक और धब्बा लगता दिखायी दे रहा है. पिछले छह महीने से बकाया राशि अदा नहीं करने के कारण डाक विभाग ने राज्य वित्त मंत्रलय के पत्रों को इकट्ठा करना बंद कर दिया है. राइटर्स बिल्डिंग के सूत्रों के अनुसार बिल का भुगतान नहीं करने के कारण राज्य […]

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इमेज पर एक और धब्बा लगता दिखायी दे रहा है. पिछले छह महीने से बकाया राशि अदा नहीं करने के कारण डाक विभाग ने राज्य वित्त मंत्रलय के पत्रों को इकट्ठा करना बंद कर दिया है.

राइटर्स बिल्डिंग के सूत्रों के अनुसार बिल का भुगतान नहीं करने के कारण राज्य सरकार के अन्य विभागों को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा. राज्य वित्त विभाग के अधिकारी बकाया राशि के बारे में कुछ बताने के लिए तैयार नहीं है. हालांकि उनका कहना है कि राज्य वित्त विभाग रोजाना औसतन 100-150 पत्र भेजता है.

डाक टिकट की कीमत पत्र के वजन पर निर्भर करता है. सबसे कम कीमत का डाक टिकट पांच रुपये का है. इससे पिछले छह महीने का हिसाब लगाया जा सकता है. समझौते के अनुसार प्रत्येक छह महीने में विभागों को डाक विभाग के बकाये का भुगतान करना पड़ता है. वित्त विभाग के एक आला अधिकारी ने कहा कि हमारे पास फंड की कमी है. इस कारण पिछले छह महीने से हम डाक विभाग के बकाये का भुगतान नहीं कर पाये हैं. ऐसा पहले शायद ही कभी हुआ है.

सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा पत्रों के वितरण के पैटर्न में किया गया बदलाव ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है. वाम मोरचा सरकार के समय राइटर्स बिल्डिंग, न्यू सेक्रेटेरियोट व सॉल्टलेक व भवानीपुर स्थित दो अन्य मुख्य दफ्तरों से पत्रों का वितरण किया जाता था. वहीं, कोलकाता के लिए भेजे गये पत्र ग्रुप डी के कर्मी द्वारा व्यक्तिगत रूप से पहुंचा दिया जाता था.

लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने इन चारों सेंट्रल डाक दफ्तरों को बंद कर दिया गया और डाक विभाग के साथ हाथ मिला कर एक नयी डिलेवरी सिस्टम तैयार की गयी है. पहले जो काम राज्य सरकार के कर्मचारी करते थे, उसी काम को डाक विभाग को सौंप दिया गया, बदले में पैसे भी जाने लगे. वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही राज्य सरकार के पास डाक विभाग का बकाया अदा करने के लिए पैसे नहीं है. जिसके कारण डाक विभाग ने भी पत्र लेना बंद कर दिया है.

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