33.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कविता राजनीति से जुड़ती है, तो मर जाती है : डॉ मिश्र

कोलकाता. राजनीति से कविता जुड़ती है, तो कविता कमजोर होकर मर जाती है. जिस कविता में समय और संवेदना मुखरित नहीं होती. वह कालजयी नहीं होती. शायरी के बारे में जो कुछ मुझे जानकारी है. वह दिवंगत रेवतीलाल शाह की संगति का प्रभाव है. वे मुझे उमर खय्याम, हाफिज शीराजी, मिर्जा गालिब, फिराक गोरखपुरी आदि […]

कोलकाता. राजनीति से कविता जुड़ती है, तो कविता कमजोर होकर मर जाती है. जिस कविता में समय और संवेदना मुखरित नहीं होती. वह कालजयी नहीं होती. शायरी के बारे में जो कुछ मुझे जानकारी है. वह दिवंगत रेवतीलाल शाह की संगति का प्रभाव है. वे मुझे उमर खय्याम, हाफिज शीराजी, मिर्जा गालिब, फिराक गोरखपुरी आदि शायरों की शायरी मुझे सुनाते एवं पढ़ाते.

ये बातें संस्कृति सौरभ के तत्वावधान में रेवतीलाल शाह की पुस्तकों के विमोचन समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्णबिहारी मिश्र ने रविवार को भारतीय भाषा परिषद सभागार में कहीं. इस अवसर पर रवतीलाल शाह के मूल फारसी संकलन एवं भावानुवाद ‘उमर खय्याम’ (चुनिंदा रुबाइयां : मूल फारसी एवं भावानुवाद), ‘हाफिज शीराजी’ (चुनिंदा गजलें : मूल फारसी एवं भावानुवाद) तथा ‘मिर्जा गालिब ’(चुनिंदा खत : अनुवाद, चुनिंदा शेर: मूल उर्दू एवं भावानुवाद) पुस्तकों का विमोचन किया गया. इन पुस्तकों का संपादन प्रमोद शाह ने किया है.

इस अवसर पर प्रमोद शाह नफीस द्वारा लिखी पुस्तक सूफीमत : एकता का पैगाम का भी विमोचन किया गया. इन पुस्तकों का विमोचन डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र, जनाब शीन काफ निजाम व मुनीश गुप्ता ने किया. जनाब शीन काफ निजाम ने कहा कि शायरी फकीरी का काम है या शायरी करके कोई फकीर हो सकता है जैसा खरबूजा पर छुरी गिरे या छुरी पर खरबूजा. संस्कृति की सुरक्षा का जो बोझ उठाते हैं. वही अपने भाईचारे की परंपरा को सुरक्षित रखते हैं और उसे आगे बढ़ाते हैं. यह देखकर अच्छा लगता है कि प्रमोद शाह ने अपने बड़े भाई रेवतीलाल शाह की रचनाओं को प्रकाशित कर चारों ऋणों से उऋण हो गये हैं. यदि आप एक किताब पढ़ रहे हैं, तो वह किताब आपको भी पढ़ रही होती है. अनुवाद रचना की रहस्य को खोलती है. शायरी को सहज समझ कर पढ़ने से आनंद मिलता है.

इस अवसर पर पुस्तक के संपादक प्रमोद शाह ने कहा कि भाई रेवतीलाल शाह के लेखों व पंत्रों का संग्रह ‘संवेदना के विविध’ आयाम से हिंदी में तथा ‘फिराक की शायरी और फिराक का चिंतन’ के नाम से हिंदी और उर्दू में प्रकाशित हो चुकी है. उनके मित्रों की इच्छा थी कि उनका पूरा कार्य प्रकाश में आना चाहिए. इसलिए उमर खय्याम, हाफिज शीराजी व मिर्चा गालिब पर उनका लेखन को संपादित कर प्रकाशित करने का सौभाग्य मिला है. इस अवसर पर मुुनीश गुप्ता ने भी अपने विचार रखे.

कार्यक्रम का संचालन राजीव माहेश्वरी एवं धन्यवाद ज्ञापन राममोहन लखोटिया ने किया. इस अवसर पर अरुण माहेश्वरी, सरला माहेश्वरी, नंदलाल शाह, डाॅ अमरनाथ शर्मा, पावस शाह, ऋचा टिबड़ेवाल, कृति शाह, नंदलाल सेठ, सेराज खान बातिश, कमलेश कृष्ण, पारस बोथरा सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें