कोलकाता. उत्तर बंगाल में स्थित चाय बागान में पिछले कुछ दिनों में कई श्रमिकों ने आत्महत्या की है. यहां के चाय बागानों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, इसे लेकर शुक्रवार को राज्य सचिवालय नबान्न भवन में मंत्री समूह की बैठक हुई. इस बैठक में चाय बागान की समस्याओं को लेकर चर्चा की गयी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार का मानना है कि चाय बागान मालिकों की वजह से यहां के श्रमिकों की हालत भयंकर हो गयी है, क्योंकि ये लोग सिर्फ रुपये कमाने के चक्कर में श्रमिकों के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं.
इसके साथ ही यहां के कई चाय बागान बीआइएफआर में जाने की स्थिति में है और राज्य सरकार इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी हुई है. बताया गया है कि यहां के चाय बागानों में कई वर्षों से नये सिरे से खेती नहीं हुई है, इसलिए यहां कम से कम 10 प्रतिशत नये पौधे लगाना जरूरी है. जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार का मानना है कि यहां के श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच के लिए हमेशा ही जांच शिविर लगाना जरूरी है. कई बार बीमारी के कारण भी मौत होने पर इसे भूखमरी का नाम दिया जा रहा है.
इसलिए मंत्री समूह की बैठक में विभिन्न विभाग को आपस में समन्वय बना कर काम करने की बात कही गयी है. इस संबंध में मंत्री समूह द्वारा रिपोर्ट बनायी जायेगी और इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपी जायेगी. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों चाय बागान की स्थिति को लेकर इसके मालिकों को आड़े हाथों लिया था. मुख्यमंत्री ने चाय बागान मालिकों को साफ कर दिया था कि अगर वह बागान नहीं चलाना चाहते हैं तो इसे छोड़ दे, राज्य सरकार इन चाय बागानों का अधिग्रहण कर इसे चलायेगी.
चाय बागान की समस्या का समाधान सूत्र निकालने के लिए शुक्रवार को हुए मंत्री समूह की बैठक में राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, श्रम मंत्री मलय घटक, खाद्य व आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक, उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव, कृषि मंत्री पुर्णेंदु बसु, शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी व जल संसाधन मंत्री सौमेन महापात्र, महिला व शिशु विकास मंत्री डॉ. शशि पांजा, स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने हिस्सा लिया.