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पांच में एक महिला पीड़ित

कोलकाता: कम उम्र की महिलाओं व टीनएजर्स में पोली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) काफी सामान्य स्थिति है. पीसीओएस होने पर महिलाओं को पीरियड्स संबंधी अनियमितता या देरी से पीरियड्स होना व वजन ज्यादा होने की शिकायत हो सकती है. साथ ही चेहरे पर मुहांसा या असामान्य रूप से शरीर पर बालों की बढ़ोतरी हो सकती […]

कोलकाता: कम उम्र की महिलाओं व टीनएजर्स में पोली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) काफी सामान्य स्थिति है. पीसीओएस होने पर महिलाओं को पीरियड्स संबंधी अनियमितता या देरी से पीरियड्स होना व वजन ज्यादा होने की शिकायत हो सकती है.

साथ ही चेहरे पर मुहांसा या असामान्य रूप से शरीर पर बालों की बढ़ोतरी हो सकती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शादीशुदा महिलाओं में पीसीओएस होने पर उनमें इनफरटिलिटी अथवा गर्भपात की समस्या हो सकती है. यह जानकारी बर्थ (बंगाल इनफरटिलिटी एंड रीप्रोडक्टिव थेरेपी हॉस्पिटल) द्वारा गुरुवार को पीसीओएस पर आयोजित एक सेमिनार में रीप्रोडक्टिव मेडिसिन, लंदन यूनिवर्सिटी की सीनियर प्रोफेसर डॉ रीना अग्रवाल (एमडी, पीएचडी, एफआरसीओजी, एफआइसीओजी ) ने दी.

उन्होंने बताया कि प्रत्येक पांच महिलाओं में से एक को पीसीओएस की समस्या हो सकती है. अल्ट्रासोनोग्राफी कराने के बाद यह बात प्रमाणित हो चुकी है. पीसीओएस गर्भवती महिला को हो तो हाइपरटेंशन, ब्लीडिंग या प्रीमेच्योर बेबी की संभावना बढ़ जाती है.

उनका कहना है कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को अनियमित पीरियड्स या गर्भाश्य संबंधी अन्य परेशानियों को भी ङोलना पड़ सकता है. उनमें सुस्ती या अकर्मण्यता जैसी स्थिति हो सकती है. ऐसी स्थिति में कैंसरस के लिए जरूरी सजर्री अथवा रेडियो थेरेपी करवाने की आवश्यकता भी महिला को पड़ सकती है. पीसीओएस में महिलाएं अगर मोटापे की शिकार हैं तो हाइपरटेंशन और मधुमेह की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

हाइपरटेंशन और मधुमेह दो ऐसी जानलेवा बीमारियां हैं जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों को न्यौता देती हैं. महिलाओं में पीसीओएस विषय पर पिछले 25 सालों से अनुसंधान करने वाली डॉ रीना अग्रवाल का कहना है कि पोली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) कोई गंभीर बीमारी नहीं बल्कि शरीर में हारमोन्स के असंतुलन के कारण पैदा हुई एक ऐसी समस्या है जिसको उपचार व चिकित्सा के जरिये कम किया जा सकता है. जीवनशैली में बदलाव व सही संतुलित डाइट से इस समस्या को काफी नियंत्रित किया जा सकता है. महिलाओं को एल्कोहल व धूम्रपान के सेवन से भी बचना चाहिए. बर्थ के मेडिकल डाइरेक्टर डॉ गौतम खस्तगीर ने जानकारी दी कि पीसीओएस को अब एक जेनेटिक बीमारी के रूप में पहचाना जा रहा है जो परिवार में किसी को भी हो सकती है, इसका लिंक मधुमेह से भी हो सकता है. आज इस समस्या के नियंत्रण व उपचार के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी कई डायग्नोस्टिक सुविधाएं उपलब्ध हैं.

ओबेसिटी व अनियमित पीरियड्स की शिकार महिलाओं को ज्यादा सतर्क होने की आवश्यकता है. महिलाओं में पीसीओएस जैसी बीमारी के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए बर्थ द्वारा यह सेमिनार आयोजित किया गया है.कार्यक्रम में नारी के महान गुणों को दर्शाती डॉ गौरी कुमरा की आकर्षक पेन्टिंग्स प्रदर्शित की गयी. डॉ कुमरा ने कहा कि इन कलाकृतियों से एकत्रित फंड का उपयोग गरीब लड़कियों की शिक्षा में खर्च किया जायेगा. सेमिनार में अभिनेत्री व डिजाइनर अग्निमित्र पाल, अभिनेत्री रचना पाल सहित चिकित्सा क्षेत्र के कई विशेषज्ञ उपस्थित रहे.

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