हावड़ा. हावड़ा पुलिस कमिश्नरेट शहर में ट्रैफिक को रफ्तार देने के लिए अपने स्थापना काल से ही प्रयासरत है. सुस्त व रेंगती परिवहन व्यवस्था को बेहतर करने के लिए वह जरूरी कदम उठाता रहा है. मुख्य सड़कों पर रिक्शा, ठेला व धीमी गति के अन्य वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए वह जल्द ही एक उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करनेवाला है. पिछले साल दिसंबर में इस प्रकार की एक तकनीक को सिटी पुलिस ने अाजमाया भी था, लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ. माना जा रहा है कि नयी तकनीक से ट्रैफिक को रफ्तार मिलेगा.
व्यस्ततम सड़कों पर नयी तकनीक
हावड़ा : सिटी पुलिस के ट्रैफिक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, ट्रैफिक जाम के लिए बहुत हद तक रिक्शा, ठेला व इस प्रकार की धीमी गति के वाहन जिम्मेदार होते हैं. नयी तकनीक के जरिये इन वाहनों को एक निश्चित इलाकों तक सीमित करने में मदद मिलेगी. नयी व उन्नत तकनीक से लैस उपकरण शहर की 25 व्यस्ततम सड़कों पर लगाये जायेंगे.
मुख्य तौर पर जीटी रोड से जुड़े स्थानों ये उपकरण लगाये जायेंगे. इनमें फोरसर रोड, सलिकया स्कूल रोड, काजी पाड़ा, बनारस रोड, शिवपुर रोड जैसी सड़कें शामिल हैं. पुरानी व असफल तकनीक की खामियों से सीख लेते हुए नये उपकरण में जरूरी फेरबदल किये गये हैं. नयी उपकरण की चोड़ाई को प्रयाप्त किया गया है.
पुराना उकरण हुआ था फेल
साल 2014 के दिसंबर में मल्लिक फाटक के पास स्लो मूविंग व्हीकल कैचर नाम से एक उपकरण लगाया गया था, जो कारगर नहीं रहा. लगभग दो लाख की लागत से बने इस उपकरण की लंबाई 2.1 मीटर व चौड़ाई 1.5 मीटर थी. इसका मुख्य उद्देश्य रिक्शा, ठेला व इस प्रकार के अन्य वाहनों को मुख्य सड़क पर चलने से रोकना था, लेकिन सिटी पुलिस को इससे निराशा ही हाथ लगी. यह तकनीक बांग्लादेश में प्रचलित है. इसकी चौड़ाई प्रयाप्त नहीं होने के कारण रिक्शा व अन्य वाहनों को रोकना मुमिकन नहीं हुआ.
सड़क हादसों में सैकड़ों ने गंवायी जान
लचर ट्रैफिक व्यवस्था के कारण वर्ष 2014-15 में सड़क दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोगों ने जना गंवा दी. साल 2014 के जून में हुई सड़क दुर्घटनाओं में 49 लोगों की मौत हुई, जबकि 201 लोग घायल हुए. साल 2015 में सड़क दुर्घटनाओं में 43 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 184 लोग घायल हुए.