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नगरपालिका के सूअर जब्त अभियान के खिलाफ प्राणी संपदा विकास विभाग ने उठाये सवाल, कहा इंसेफलाइटिस का कारण सूअर नहीं

जलपाईगुड़ी: इंसेफलाइटिस की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग व जलपाईगुड़ी नगरपालिका के सूअर जब्त अभियान को लेकर जिला प्राणी संपदा विकास विभाग ने सवाल उठाया है. जलपाईगुड़ी जिला प्राणी संपदा विकास विभाग के डिप्टी निदेशक कुशल कुमार पाल ने बताया कि प्राणी संपदा विकास विभाग की ओर से सरकारी परियोजना के तहत सूअरों का वितरण […]

जलपाईगुड़ी: इंसेफलाइटिस की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग व जलपाईगुड़ी नगरपालिका के सूअर जब्त अभियान को लेकर जिला प्राणी संपदा विकास विभाग ने सवाल उठाया है. जलपाईगुड़ी जिला प्राणी संपदा विकास विभाग के डिप्टी निदेशक कुशल कुमार पाल ने बताया कि प्राणी संपदा विकास विभाग की ओर से सरकारी परियोजना के तहत सूअरों का वितरण किया जा रहा है.

विभाग द्वारा वितरित सूअरों को पालने वाले किसी भी पालक को इंसेफलाइटिस नहीं हो रहा है. तब क्यों इंसेफलाइटिस के लिए सूअर को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सरकारी रूप से वितरित सूअरों को नियम मान कर वैक्सिन दिया जाता है, ताकि सूअर से किसी तरह का जीवाणु का संक्रमण नहीं होता है.

उल्लेखनीय है कि चालू महीने में जलपाईगुड़ी जिले में इंसेफलाइटिस से छह लोगों की मौत हुई है. इंसेफलाइटिस के लिए सुअर को मुख्य कारण बता कर जलपाईगुड़ी नगरपालिका व स्वास्थ्य विभाग नगरपालिका इलाके में सुअर जब्त अभियान चलाना शुरू किया है. जलपाईगुड़ी जिला परिषद की सभाधिपति नूरजहान बेगम ने बताया कि सुअर से जीवाणु फैलने की आशंका रह जाती है, लेकिन जो लोग सुअर के व्यवसाय कर रोजगार कर रहे हैं, उनके समस्याओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी प्रकाश मृधा ने बताया कि प्रदूषित पानी से भी इंसेफलाइटिस का प्रकोप बढ़ रहा है. लोगों को मच्छरदानी इस्तेमाल करने के लिए प्रचार किया जा रहा है. बुखार आने पर चिकित्सकों के साथ संपर्क करने के लिए अनुरोध किया जा रहा है. जिला प्राणी संपदा विकास विभाग के डिप्टी निर्देशक कुशल कुमार पाल ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में अविभाजित जलपाईगुड़ी जिले के अलीपुरद्वार व मदारीहाट में 10-10 कर कुल 20 किसानों को चार-चार घुंगरु प्रजाति के सुअर नि:शुल्क वितरित किया गया था. इन सुअरों को रोग-प्रतिरोधक वैकसीन दिया गया था. इसके बाद पिछले वर्ष व इस साल नये सिरे से सुअरों को वितरण नहीं किया गया.

उन्होंने सवाल किया कि अगर सुअर से इंसेफलाइटिस फैल रहा है तो जो लोग सुअर पाल रहे हैं या फिर उनके पड़ोसियों को इंसेफलाइटिस क्यों नहीं हो रहा है. मिली जानकारी के अनुसार, मैनागुड़ी के रामसाई कृषि विज्ञान केंद्र, डीआरडीसी, सीमा सुरक्षा बल व वन विभाग जैसी सरकारी विभागों की ओर से किसानों को सुअर वितरण किया जाता है, लेकिन इन सुअरों को वैकसीन दिया जाता है. दूसरी ओर, यह भी पता चला है कि अवैध रूप से कई लोग सुअर पाल रहे हैं.

ये सुअर शहर के जहां-तहां घुम रहे हैं और इन्हें नियमित रूप से वैकसीन भी नहीं दिया जाता है. हाल ही में जलपाईगुड़ी नगरपालिका ने अभियान चला कर जलपाईगुड़ी अस्पताल परिसर से कई सुअरों को जब्त किया था, लेकिन सुअर के मालिक को गिरफ्तार नहीं किया जा सका. नगरपालिका के कई कर्मचारी भी अवैध सुअर पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. अस्पताल के अधीक्षक पार्थ दे व नगरपालिका के चेयरमैन मोहन बोस ने बताया कि जो लोग अवैध सुअर पालन के साथ जुड़े हैं, उनके सभी सुअरों को जब्त करने का निर्देश दिया गया है.

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