विभाग द्वारा वितरित सूअरों को पालने वाले किसी भी पालक को इंसेफलाइटिस नहीं हो रहा है. तब क्यों इंसेफलाइटिस के लिए सूअर को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सरकारी रूप से वितरित सूअरों को नियम मान कर वैक्सिन दिया जाता है, ताकि सूअर से किसी तरह का जीवाणु का संक्रमण नहीं होता है.
जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी प्रकाश मृधा ने बताया कि प्रदूषित पानी से भी इंसेफलाइटिस का प्रकोप बढ़ रहा है. लोगों को मच्छरदानी इस्तेमाल करने के लिए प्रचार किया जा रहा है. बुखार आने पर चिकित्सकों के साथ संपर्क करने के लिए अनुरोध किया जा रहा है. जिला प्राणी संपदा विकास विभाग के डिप्टी निर्देशक कुशल कुमार पाल ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में अविभाजित जलपाईगुड़ी जिले के अलीपुरद्वार व मदारीहाट में 10-10 कर कुल 20 किसानों को चार-चार घुंगरु प्रजाति के सुअर नि:शुल्क वितरित किया गया था. इन सुअरों को रोग-प्रतिरोधक वैकसीन दिया गया था. इसके बाद पिछले वर्ष व इस साल नये सिरे से सुअरों को वितरण नहीं किया गया.
ये सुअर शहर के जहां-तहां घुम रहे हैं और इन्हें नियमित रूप से वैकसीन भी नहीं दिया जाता है. हाल ही में जलपाईगुड़ी नगरपालिका ने अभियान चला कर जलपाईगुड़ी अस्पताल परिसर से कई सुअरों को जब्त किया था, लेकिन सुअर के मालिक को गिरफ्तार नहीं किया जा सका. नगरपालिका के कई कर्मचारी भी अवैध सुअर पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. अस्पताल के अधीक्षक पार्थ दे व नगरपालिका के चेयरमैन मोहन बोस ने बताया कि जो लोग अवैध सुअर पालन के साथ जुड़े हैं, उनके सभी सुअरों को जब्त करने का निर्देश दिया गया है.