श्री साहू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि फिलहाल इस बिंदु पर हम नेट निरपेक्षता को लेकर चिंतित नहीं हैं, क्योंकि क्षेत्र के नियामक ने अभी अपना विचार नहीं बनाया है. लेकिन हम इस पर निगाह रखेंगे और यदि यह प्रतिस्पर्धा रोधी होता है तो कदम उठायेंगे. नेट निरपेक्षता से तात्पर्य समूचे इंटरनेट ट्रैफिक के साथ समान व्यवहार करना है और किसी भी इकाई या कंपनी को सामग्री या सेवा प्रदाता मसलन दूरसंचार कंपनियों को किये गये भुगतान के आधार पर प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि यह भेदभावपूर्ण होगा. भारत में नेट निरपेक्षता को लेकर उस समय बहस छिड़ गयी, जब दूरसंचार ऑपरेटर एयरटेल ने एयरटेल जीरो प्लेटफॉर्म पेश किया.
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नेट निरपेक्षता का मुद्दा नहीं देख रहा सीसीआइ
कोलकाता. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) फिलहाल नेट निरपेक्षता का मुद्दा नहीं देख रहा है, क्योंकि क्षेत्र के नियामक भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस पर अपने अंतिम विचार तय नहीं किये हैं. सीसीआइ के सदस्य एम एस साहू ने सोमवार को यह बात कही. श्री साहू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि फिलहाल इस […]
कोलकाता. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) फिलहाल नेट निरपेक्षता का मुद्दा नहीं देख रहा है, क्योंकि क्षेत्र के नियामक भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस पर अपने अंतिम विचार तय नहीं किये हैं. सीसीआइ के सदस्य एम एस साहू ने सोमवार को यह बात कही.
इससे उसकी वेबसाइट पर कुछ को मुफ्त पहुंच की सुविधा थी. हालांकि, कंपनियों को इस प्लेटफॉर्म पर आने के लिए एयरटेल को भुगतान को कहा गया.
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