कोलकाता. मैगी विवाद के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) पर दबाव धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि नेसले कंपनी ने दावा किया है कि उनके मैगी उत्पाद को जिस लेबोरेटरी में जांच किया गया था, उसे नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरी (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त नहीं है. देश के विभिन्न क्षेत्र में स्थित 12 लैब में से पांच लैब को एनएबीएल से मान्यता नहीं मिली है, इसमें महानगर में स्थित सेंट्रल फूड लेबोरेटरी भी शामिल है. गौरतलब है कि इस लेबोरेटरी ने वर्ष 2003 से एनएबीएल की मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन अब तक उसे मान्यता नहीं मिल पायी है. हालांकि इसके कारणों बारे में एफएसएसएआइ के अधिकारी ने कोई जानकारी नहीं दी. इस संबंध में सेंट्रल फूड लेबोरेटरी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस लैब को एनएबीएल की मान्यता जरूरी है. लेकिन एफएसएसएआइ के गाइड लाइन के अनुसार, देश के जिस लैब को एफएसएसएआइ ने मान्यता दी है, उनको एनएबीएल से भी मान्यता लेना अनिवार्य है. हालांकि इस संबंध में सेंट्रल फूड लैबोरेटरी के निदेशक एके अधिकारी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
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सेंट्रल फूड लेबोरेटरी को एनएबीएल से नहीं मिली मान्यता
कोलकाता. मैगी विवाद के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) पर दबाव धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि नेसले कंपनी ने दावा किया है कि उनके मैगी उत्पाद को जिस लेबोरेटरी में जांच किया गया था, उसे नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरी (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त नहीं है. […]
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