कोलकाता : जेम्स एंटोनी टान के माता-पिता को जब पता चला कि उनका बेटा जन्मजात डिस्लेक्सिया पीड़ित है, तो वे उसके भविष्य को लेकर चिंतित हो गये. क्योंकि डिस्लेक्सिया ऐसी बीमारी है, जिसमें बच्चों की सीखने की क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है. लेकिन ऐसे बच्चों में कुछ रचानात्मक करने के प्रति झुकाव रहता है.
जेम्स ने बीमारी के बावजूद अथक प्रयास से अपनी पढ़ाई पूरी कर आस्ट्रेलिया व यूके से उन्होंने कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस मात्र 18 वर्ष की उम्र में प्राप्त किया. 21 वर्ष की उम्र में टान ने 400 घंटे उड़ान के अनुभव के साथ 26 मार्च, 2013 को मलेशिया के लंगकावी से क्रू के 18 सदस्यों के साथ केसना 210 इगल एयरक्राफ्ट से दुनिया भ्रमण के लिए उड़ान भरी.
अपनी यात्रा के दौरान शनिवार को कोलकाता पहुंचे जेम्स ने मलेशिया टूरिज्म की तरफ से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अपने अनुभव बांटे.
यात्रा के दौरान चार महादेशों के 19 देशों का भ्रमण कर चुके जेम्स ने कहा यात्रा के दौरान उन्होंने अफ्रीका की गर्मी व अलास्का के बर्फीले क्षेत्र को अपना पड़ाव बनाया, जहां के 20 डिग्री सेंटिग्रेड तापमान के बीच बर्फीले तूफान का सामना किया.
समुद्री तूफान ने उन्हें थोड़े समय के लिए विचलित तो जरूर किया, लेकिन लक्ष्य से पीछे नहीं हटा सकी. कोलकाता आने तक कुल 31 पड़ावों में से मिस्त्र, कनाडा, इटली, रूस, अफ्रीका होते हुए उन्होंने 28 पड़ाव तय कर लिये हैं. अगर वे 50 दिनों में यह कारनामा करते हैं तो यह एक कीर्तिमान होगा.
अपने अनूठे लक्ष्य के प्रति जेम्स का कहना है कि इससे वे अपने जैसी बीमारी से ग्रसित बच्चों के सामने एक आदर्श स्थापित करना चाहते हैं व उन्हें उत्साहित करना चाहते हैं. संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित मलेशिया के कार्यकारी उच्चयुक्त राजलान अब्दुल राशिद ने क हा कि जेम्स जैसे युवा किसी भी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण व दूसरे बच्चों के लिए प्रेरणाश्रोत होते हैं.