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…के एसेचे, ममता!

सीएम के फारवर्ड ब्लॉक कार्यालय में आते ही अशोक घोष ने कहा कोलकाता : ..के एसेचे, ममता! मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने कार्यालय में आते ही फॉरवर्ड ब्लॉक के वयोवृद्ध नेता अशोक घोष का पहला वाक्य यही था, यानी कौन आया है, ममता! उनके इतना कहते ही सुश्री बनर्जी ने उन्हें नमस्कार करते हुए उनसे […]

सीएम के फारवर्ड ब्लॉक कार्यालय में आते ही अशोक घोष ने कहा
कोलकाता : ..के एसेचे, ममता! मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने कार्यालय में आते ही फॉरवर्ड ब्लॉक के वयोवृद्ध नेता अशोक घोष का पहला वाक्य यही था, यानी कौन आया है, ममता! उनके इतना कहते ही सुश्री बनर्जी ने उन्हें नमस्कार करते हुए उनसे खड़ा नहीं होने का आग्रह किया.
कहा कि वह अशोक दा यानी अशोक घोष की छोटी बहन जैसी ही हैं. गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महानगर के सीआर एवेन्यू स्थित फॉरवर्ड ब्लॉक के कार्यालय में करीब 94 वर्षीय नेता अशोक घोष से भेंट की और उन्हें फूलों का गुलदस्ता दिया. इधर, घोष ने सुश्री बनर्जी का स्वागत करते हुए उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक तसवीर भेंट की.
मुख्यमंत्री ने उनके स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए कहा कि वह यहां शिष्टाचार भेंट करने आयी थीं, क्योंकि वे विगत दो जुलाई को श्री घोष के जन्मदिन के मौके पर मुलाकात नहीं कर पायी थीं. अशोक दा राजनीतिक नेताओं की उस पीढ़ी से संबंधित हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी लोगों के लिए लगा दी. इस मुलाकात के दौरान राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम (बॉबी), सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय भी उनके साथ मौजूद रहे, जबकि फॉरवर्ड ब्लॉक के नरेन चटर्जी, परेश अधिकारी, युवा लीग के श्रीकांत सोनकर समेत कई नेता व कार्यकर्ता इस मुलाकात के गवाह बने.
भले ही इस मुलाकात को औपचारिक करार दिया जा रहा हो, लेकिन यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम मानी जा रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बुधवार को माकपा के दिवंगत नेता ज्योति बसु की 102वीं जयंती के मौके पर तमाम वामपंथी दलों को एकजुट होकर राज्य के मौजूदा हालात से लड़ने का आह्वान किया गया था.
वामदलों द्वारा किये आह्वान के ठीक एक दिन बाद यानी गुरुवार को मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के फॉरवर्ड ब्लॉक के राज्य सचिव अशोक घोष से मुलाकात की और राजनीतिक क्षेत्र में उनके आशीर्वाद पाने की कामना करते हुए वामपंथी खेमे के कई नेताओं करीबी होने की बात कही. अशोक घोष ने सुश्री बनर्जी के विषय में कहा कि वह उनकी छोटी बहन जैसी हैं. इस बात पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे वयोवृद्ध नेता की छोटी बहन जैसी हैं.
छोटी बहन के नाते वह उनसे कहना चाहती हैं, यदि तृणमूल सरकार के सत्ता में रहने के दौरान कोई खामियां होती हैं, तो फॉरवर्ड ब्लॉक नेता की निंदा व कोई सुझाव दिये जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. राजनीतिक जीवन का मतलब सत्ता का दुरुपयोग करना नहीं, बल्कि जनता के लिए काम करना और प्रतिबद्धताओं को पूरा करना होता है. राजनीति का मतलब होता है कि आप पहले दिन जो कहें उसका 100 वें दिन भी पालन करें.
नंदीग्राम आंदोलन के दौरान भी सुश्री बनर्जी ने अशोकघोष से मुलाकात की थी, क्योंकि उस वक्त फॉरवर्ड ब्लॉक की ओर से आंदोलन को लेकर कुछ अलग सुर सुनायी दे रहे थे. अगले साल राज्य में होनेवाले विधानसभा चुनाव के पहले फारवर्ड ब्लॉक के आला नेता से मुलाकात करना क्या रणनीति के तहत है? इस संभावना को भी राजनीतिक विश्लेषक खारिज नहीं करना चाहते हैं.

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