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भजन संग्रह भक्ति एक भाव अनेक’ का लोकार्पण

कोलकाता. ‘शब्द ब्रह्म को उठो जगाये, कोई ऐसा मीत बनाये, ओम व्योम में रहे समाय, सुर आराधना में हम खो जाये.’ इन्हीं शब्दों के साथ महानगर के भारतीय भाषा परिषद में गुलाब बैद की चौथी कृति ‘भक्ति एक भाव अनेक’ पुस्तक का लोकार्पण प्रसिद्ध चित्रकार मंजू नाहटा ने किया. वर्ष 1993-2001 के बीच संकलित कविताओं […]

कोलकाता. ‘शब्द ब्रह्म को उठो जगाये, कोई ऐसा मीत बनाये, ओम व्योम में रहे समाय, सुर आराधना में हम खो जाये.’ इन्हीं शब्दों के साथ महानगर के भारतीय भाषा परिषद में गुलाब बैद की चौथी कृति ‘भक्ति एक भाव अनेक’ पुस्तक का लोकार्पण प्रसिद्ध चित्रकार मंजू नाहटा ने किया. वर्ष 1993-2001 के बीच संकलित कविताओं को गुलाब बैद ने पुस्तक में पेश किया है. समारोह में सर्वप्रथम तारा दुग्गड ने दीप प्रज्वलित किया. इसके उपरांत प्रियंक बेगानी ने ‘मां सरस्वती, मां शारदे हम सबको तेरा प्यार मिले’ गीत पेश किया. इस अवसर पर गुलाब बैद ने अपनी इस कृति को प्रसिद्ध भजन गायक देवेंद्र बेगानी को समर्पित करते हुए इसकी रचना के लिए उनकी प्रेरणा को मुख्य स्रोत बताया. कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विमल सिंह वैद, अजय सिंह वैद, उषा बरडिया, शिल्पा वैद एवं चंपा लाल वैद ने मंच के विशिष्ट अतिथियों को मेमेंटो और पुष्प देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम मंे प्रमुख वक्ता पत्रकार प्रकाश चंडालिया, मुख्य अतिथि अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरज बरडिया, समारोह की अध्यक्ष तारा दुग्गड के अलावा सुप्रसिद्ध भजन गायक देवेंद्र बेगानी उपथित थे. इस अवसर पर मंच संचालन करते हुए इंदु चांडक ने अपनी उत्कृष्ट भाषा शैली से उपस्थित लोगों का मन मोह लिया.

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