एक समय ऐसा था, जब यूरोप के अमीर घराने के लोग सिर्फ मलमल का कपड़ा ही पहनते थे. एक ब्रिटिश कंपनी ने इस फेब्रिक को वहां से भारत लाया था और यहां इसका कारोबार शुरू किया था. अब पश्चिम बंगाल सरकार फिर से मलमल के कपड़े को लोकप्रिय बनाने में जुटी है.
पश्चिम बंगाल खादी व विलेज इंडस्ट्रीज बोर्ड ने राज्य के 1800 बुनकरों को चिंहित किया है, जो थ्रेड्स व वीभिंग के उत्पादन के साथ जुड़े हुए हैं. राज्य सरकार ने इन लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए 62 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनायी है और वर्तमान वित्तीय वर्ष में पांच करोड़ रुपया आवंटित किया जा चुका है. इस राशि से बुनकरों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिससे वह कॉटन से वीभिंग थ्रेड्स का निर्माण कर सकें. राज्य के 172 वीभर्स एसोसिएशन द्वारा इस कार्यक्रम को क्रियान्वित किया जायेगा. वर्तमान मार्केट ट्रेंड को देखते हुए राज्य सरकार ने रंगीन मलमल के कपड़े व नये डिजाइन के साथ इसका उत्पादन करने की योजना बनायी गयी है. राज्य सरकार ने बुनकरों के परिवार वालों के लिए भी कई सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं शुरू की है, ताकि इनका सर्वागीण विकास किया जा सके.