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पूर्व उपमेयर फरजाना आलम सुपुर्द-ए-खाक, जनाजे में उमड़े लोग, नहीं आये तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता

कोलकाता: कोलकाता नगर निगम की पूर्व उपमेयर फरजाना आलम को बुधवार को बागमारी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. फरजाना के जनाजे में बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे. लेकिन उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचे. जानकारी के अनुसार, परिजनों ने फरजाना के पार्थिव शरीर को 65 नंबर वार्ड […]

कोलकाता: कोलकाता नगर निगम की पूर्व उपमेयर फरजाना आलम को बुधवार को बागमारी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. फरजाना के जनाजे में बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे. लेकिन उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचे.
जानकारी के अनुसार, परिजनों ने फरजाना के पार्थिव शरीर को 65 नंबर वार्ड तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर और नगर निगम मुख्यालय ले जाने की इजाजत नहीं दी. इसके बाद पार्टी नेताओं से अंत्येष्टि से दूरी बना ली. उनका पार्थिव शरीर ‘पीस हेवन’ में रखा गया था, जहां डिप्टी मेयर इकबाल अहमद और मार्केट विभाग के मेयर परिषद सदस्य अमीरउद्दीन बॉबी के अलावा तृणमूल कांग्रेस का और कोई नेता नजर नहीं आया. हालांकि थोड़ी देर के लिए शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम पहुंचे थे. पर, न तो मुख्यमंत्री और न ही मेयर पहुंचे. मेयर परिषद के सदस्य भी नहीं पहुंचे थे, जिनके साथ फरजाना आलम ने पांच साल काम किया. फरजाना आलम जिंदगी भर जिस तृणमूल कांग्रेस के साथ रहीं, अंतिम समय में उसी ने उनका साथ छोड़ दिया.
पार्थिव शरीर को निगम मुख्यालय नहीं लाया गया : फरजाना आलम का पार्थिव शरीर कोलकाता नगर निगम मुख्यालय नहीं लाया गया. मंगलवार को मेयर शोभन चटर्जी एवं डिप्टी मेयर इकबाल अहमद ने दावा किया था कि परिजनों से हुई बातचीत के अनुसार, बुधवार दोपहर डेढ़ बजे पार्थिव शरीर को निगम मुख्यालय लाया जायेगा, जहां सभी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. लेकिन परिजनों ने दिवंगत फरजाना आलम के पार्थिव शरीर को निगम मुख्यालय ले जाने से साफ इनकार कर दिया. पूर्व डिप्टी मेयर के पार्थिव शरीर को पीस हेवन से उनके घर ले जाया गया.

उसके बाद बागमारी कब्रिस्तान ले जा कर उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. गौरतलब है कि सोमवार रात को दक्षिण कोलकाता के एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से फरजाना आलम का निधन हो गया था. वह 30 अप्रैल को वाम मोरचा और भाजपा की हड़ताल के दौरान तृणमूल कांग्रेस की ओर से रैली निकालने के दौरान अपनी ही पार्टी के एक गुट के हमले में घायल हो गयी थीं. परिजनों का कहना है कि फरजाना इस घटना के सदमे से उबर नहीं सकीं. पार्टी का साथ मिलने से उन्हें मानसिक आघात लगा.

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