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रोज वैली का मामला: धन का इस्तेमाल लग्जरी कारोबार के लिए किया?

कोलकाता/नयी दिल्ली. रोजवैली ग्रुप ने अपनी विभिन्न कंपनियों के जरिये निवेशकों के ‘तरीके से’ धन की लांड्रिंग की तथा उस धन का इस्तेमाल जमीन जायदाद तथा अपने आभूषण, मनोरंजन तथा हास्पीटेलिटी कारोबारों के वित्तपोषण के लिए किया. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा करोड़ों रुपये के पोंजी योजना घोटाले की जांच में यह बात सामने आयी है. प्रवर्तन […]

कोलकाता/नयी दिल्ली. रोजवैली ग्रुप ने अपनी विभिन्न कंपनियों के जरिये निवेशकों के ‘तरीके से’ धन की लांड्रिंग की तथा उस धन का इस्तेमाल जमीन जायदाद तथा अपने आभूषण, मनोरंजन तथा हास्पीटेलिटी कारोबारों के वित्तपोषण के लिए किया. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा करोड़ों रुपये के पोंजी योजना घोटाले की जांच में यह बात सामने आयी है.
प्रवर्तन निदेशालय ने रोजवैली ग्रुप के 2631 बैंक खातों को मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत कुर्क किया था. इनमें 295 करोड़ रुपये जमा थे. निदेशालय ने जांच में पाया कि इस समूह की कुल 27 कंपनियों में से केवल 6-9 ही ‘परिचालन’ में थी.
इसके अनुसार,‘ धन को दूसरे कामों में लगाने के लिए उसे ‘तरीके से’ समूह (रोज वैली समूह ) की एक कंपनी के खाते से दूसरे खातों में भेजने का रास्ता अपनाया गया. इस धन को रीयल इस्टेट, आभूषण, मनोरंजन, हास्पीटेलिटी व होटल कारोबार जैसे अन्य क्षेत्रों में भी लगाया गया और मूल निवेशकों को उनका उचित लाभ नहीं दिया गया. एजंेसी ने अपनी जांच रपट में यह निष्कर्ष निकाला है. इसके अनुसार : समूह की कंपनियों में इस तरह धन स्थानांतरण व हेरफेर का वास्तविक उद्देश्य केवल कंपनियों में लगाये गये धन के वास्तविक स्नेत को छुपाना ही था. ऐसे कई मामले सामने आये जिनमें धन को समूह की कंपनियों में ही इधर-उधर किया गया.और उसे बाद में मूल खाते में डाल दिया गया.

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