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29 वें समाधि दिवस पर श्रद्धांजलि

-आचार्यकल्प श्रुतसागर जी महाराज जीवंत समयासार थेफोटो है कोलकाता. आचार्य कल्प श्रुतसागरजी महाराज ने अपने केशलौंच करते समय कहा कि शरीर की ममता पर कब तक आंसू बहाओगे. संयम को धारो तभी तुम्हारे जीवन का उत्कर्ष होगा. वर्धमान संदेश के संपादक अजीत पाटनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दिगंबर संप्रदाय के आचार्य श्री […]

-आचार्यकल्प श्रुतसागर जी महाराज जीवंत समयासार थेफोटो है कोलकाता. आचार्य कल्प श्रुतसागरजी महाराज ने अपने केशलौंच करते समय कहा कि शरीर की ममता पर कब तक आंसू बहाओगे. संयम को धारो तभी तुम्हारे जीवन का उत्कर्ष होगा. वर्धमान संदेश के संपादक अजीत पाटनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दिगंबर संप्रदाय के आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज स्वयं तो महान रत्नमय स्वरुप, आदर्श, कठोर तपस्वीता को धारण करने वाले असाधारण साधु थे. अपने शिष्यों को भी आपने अपनी तरह निरपेक्ष व निर्मोही बनाया. रत्नमय की निर्मलता, निरपेक्षता, निर्भयता, स्वाधीनता, आडंबरहीनता, वीतरागत के गुण आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज की शिष्य परंपरा है. जिसे देख कर मन हर्षित होता है. श्रमण संस्कृति के श्रेष्ठ साधु आचार्य शांतिसागरजी ने जिन निर्मल रत्नमय के धारी महान तपस्वी तेजस्वी शिष्य रत्नों का प्रसव किया. उन शिष्यों में महान विद्वान, कठोर तपस्वी, आगमनिष्ठ, सच्चे महाव्रती, दृढ़ आत्म संयमी, आचार्य कल्प श्रुतसागरजी महाराज का नाम मुकुटमणि के रूप में शोभायमान होता है. आगम का अगाढ़ ज्ञान, प्रभावी कृतत्व, सुंदर लेखन की शक्ति होते हुए भी आप कभी नाम व यश के व्यामोह में नहीं फंसे. निरंतर ज्ञान-ध्यान में लवलीन और तपस्या की आत्मसाधना के सिवाय किसी लौकेषणा की चाह की दाह से अलिप्त रहे. आचार्य कल्प श्रुतसागरजी महाराज कोलकाता की जैन समाज के गौरवशाली संत थे. वर्तमान पट्टाचार्य राष्ट्र गौरव आचार्य श्री वर्धमानसागरजी महाराज सदैव आपको समयसार के जीवंत प्रमाण बताते. श्री पाटनी ने कहा कि शुक्रवार को उनके 28 वें समाधि निधन दिवस पर समस्त कोलकाता वासी जैन समाज हार्दिक श्रद्धा अभिव्यक्त करता है.

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