आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के दस फीसदी शेयर के विनिवेश व कंपनी के पुनर्गठन की प्रक्रिया सहित 46 सूत्री मांगों के समर्थन में आगामी 23 सितम्बर से त्रिदिवसीय कोयला हड़ताल की गतिविधियां लगातार तेज होती जा रही है.
इधर इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (इसीएल) प्रबंधन ने कंपनी को हड़ताल से अलग रखने का अपील यूनियनों से की है. ज्वायंट एक्शन कमेटी ऑन कोल इंडिया (जैक) के संयोजक व पूर्व सांसद आरसी सिंह ने कहा कि सरकार की वादाखिलाफी और कोयला उद्योग के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल की तैयारी जोरों है.
यूनियनों के पक्ष में माकपा सांसद वासुदेव आचार्या ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान गुरुवार को इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने स्पष्ट किया कि सीआइएल के 10 प्रतिशत शेयर विनिवेश से निजीकरण का रास्ता प्रशस्त होगा. विभिन्न केंद्रीय यूनियनों के संयुक्त हड़ताल की भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी उपक्र मों का विनिवेश करके 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने का फैसला किया है.
तीन साल पहले भी कोल इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्से का विनिवेश किया गया था और इसमें से एक प्रतिशत हिस्सा ब्रिटिश कंपनी ने खरीदा था. इस कंपनी ने नौवें वेतन समझौते के समय धमकी दी थी कि उसके पास एक प्रतिशत हिस्सेदारी है और उसकी इजाजत के बिना वेतन समझौता नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि धीरे–धीरे कोयला उद्योग को विनिवेश के माध्यम से निजी क्षेत्र को सौंपा जा रहा है.
मजदूर संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. कोयला उद्योग में कार्यरत ठेका मजदूरों को नियमित किया जाना चाहिए.श्री सिंह ने कहा कि कोलियरी स्तर पर भी विभिन्न यूनियनें अपने स्तर से तथा संयुक्त रुप से प्रचार अभियान चला रही है.
14 सितम्बर को सभी यूनियनों की ओर से संयुक्त कन्वेंशन स्थानीय रवींद्र भवन में आयोजित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि सीआइएल के अधिसंख्य अधिकारी भी इस विनिवेश के खिलाफ हैं, लेकिन वे खुल कर विरोध नहीं कर पा रहे हैं. विनिवेश होने के बाद निजी कंपनियों का हस्तक्षेप निर्णय में लगातार बढ़ता जायेगा तथा राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा नहीं हो पायेगी.
इधर इसीएल प्रबंधन का कहना है कि कंपनी इस समय बीआईएफआर में है. पिछले चार वर्षो से कंपनी ने लाभ अजिर्त करना शुरू किया है. कंपनी के तकनीकी सचिव नीलाद्री राय के अनुसार कंपनी के लाभ अजिर्त करने का फायदा श्रमिकों व स्थानीय निवासियों को भी मिला है. सामाजिक विकास मद में नौ करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. कंपनी अभी तक लक्ष्य के अनुरूप प्रदर्शन कर रही है.
इस स्थिति में लगातार तीन दिनों की हड़ताल से कंपनी काफी पीछे चली जायेगी तथा इस धक्के को संभालने में महीनों लग जायेंगे. इसका असर कंपनी के साथ–साथ श्रमिकों व कर्मचारियों पर भी पड़ेगा. यदि केंद्रीय यूनियन हड़ताल से इस कंपनी को मुक्त रखे तो कंपनी को बीआईएफआर से निकलना आसान हो जायेगा.