मार्च से गरमी का मौसम शुरू हो जाता है. इसके साथ ही मार्च से ही नगरपालिका चुनाव की गहमागहमी शुरू हो गयी थी. ऐसे में रक्त संग्रह में 60 प्रतिशत की गिरावट आ गयी. स्वयंसेवी संस्था मेडिकल बैंक के सचिव डी आशीष ने बताया कि उदाहरण के रुप में जहां आमतौर पर महीने में 100 रक्तदान शिविर आयोजित होते हैं, वहां मार्च और अप्रैल में केवल 40 प्रतिशत शिविर ही आयोजित हो पाये हैं. जो क्लब व संस्था इस स्थिति में भी शिविर का आयोजन कर रहे हैं. उन शिविरों में आने वाले रक्तदाताओं की संख्या काफी कम हो गयी है. नेगेटिव ग्रुप के रक्त के संग्रह की स्थिति तो और भी खराब है. सौ में से केवल तीन लोगों का ब्लड ग्रुप नेगेटिव होता है. ऊपर से सरकारी ब्लड बैंक कर्मियों को चुनाव कार्य में लगा कर स्थिति और भी जटिल कर दी गयी.
कई संस्थाओं ने शिविर आयोजित करने के लिए आवेदन किया था, पर कर्मियों की कमी के कारण ब्लड बैंकों ने उन्हें ना कर दिया. श्री आशीष ने बताया कि यह स्थिति जून-जुलाई तक बनी रहेगी. चिंता की बात यह है कि राज्य के ब्लड बैंकों में इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है. शाम पांच बजे के बाद रक्त लेने की कोई व्यवस्था उनके पास नहीं है. सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है. इस स्थिति से उबरने के लिए लोगों को जागरूक करने की सख्त जरूरत है, पर इस क्षेत्र में भी सरकार का ध्यान नहीं है.
सरकार न तो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है और न ही लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. श्री आशीष ने आम लोगों व समाजसेवी संस्थाओं से इस दिशा में पहल करने का आह्वान किया है. श्री आशीष ने कहा कि अगर लोग किसी शिविर में रक्तदान नहीं कर पाते हैं तो वह व्यक्तिगत रुप से किसी ब्लड बैंक में जा कर रक्तदान करें. बंगाल में राज्य सरकार द्वारा संचालित 59 ब्लड बैंक हैं, जबकि 16 ब्लड बैंक केंद्र सरकार के अधीन हैं. इनके अलावा 35 निजी ब्लड बैंक भी काम कर रहे हैं.