कोलकाता: खैराती ट्रस्टों व परोपकारी संगठनों को दान देने के मामले में नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में राज्य के कई सहकारिता बैंकों का प्रबंधन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) के जांच के दायरे में आ गये हैं. इन बैंकों के खिलाफ पहला आरोप प्रबंधन द्वारा उन धर्मार्थ व परोपकारी ट्रस्टों एवं ऐसी प्रदर्शनियों को चंदा देना है, जिनसे इन बैंकों के स्वतंत्र निदेशकों अथवा उनके रिश्तेदारों का हित जुड़ा हुआ है. दूसरा आरोप बैंकों द्वारा पिछले वर्ष की प्रकाशित लाभ का एक प्रतिशत के अधिकतम सीमा को लांघना है.
आरबीआइ सूत्रों के अनुसार अधिकतर स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति राजनीति के आधार पर हुई है. वह बैंक अधिकारियों पर उन संस्थाओं व प्रदर्शनियों को चंदा देने के लिए अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें वह अथवा उनके रिश्तेदार शामिल हैं.आरबीआइ पहले ही कई सहकारिता बैंकों के निदेशकों अथवा उनके रिश्तेदारों के परोपकारी संगठनों व प्रदर्शनियों को चंदा देने से सचेत कर चुका है. आरबीआइ के एक अधिकारी ने बताया कि हम लोग भविष्य में भी बैंकों द्वारा चंदा देने की प्रक्रिया पर नजर रखेंगे.
अगर बैंक नियमों का उल्लंघन कर निदेशकों अथवा उनके रिश्तेदारों के संगठनों व ट्रस्ट को चंदा देना जारी रखेंगे तो ऐसे में हम लोग उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
दोषी पाये जाने पर होंगे निलंबित
इसके बावजूद भी अगर नियमों का उल्लंघन जारी रहा तो संबंधित अधिकारी व निदेशक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. दोषी निदेशक के मामले में आरबीआइ उनके निदेशक का पद तक समाप्त कर सकता है, वहीं किसी कर्मचारी के दोषी पाये जाने की स्थिति में पहले उसे निलंबित किया जायेगा एवं बाद में नियमों के उल्लंघन की प्रकृति के आधार पर उसकी नौकरी भी समाप्त की जा सकती है.