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आयोग के सामने हाजिर हुए ज्वायंट

कोलकाता: धोखाधडी के आरोप में गिरफ्तार एक आरोपी को लालबाजार लाकर बेधड.क पीटने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष को तलब किया. इस घटना के बाद आरोपी के परिवारवालों की तरफ से एपीडीआर के पास शिकायत दर्ज की गयी थी. पुलिस की इस बर्बरता के खिलाफ एपीडीआर […]

कोलकाता: धोखाधडी के आरोप में गिरफ्तार एक आरोपी को लालबाजार लाकर बेधड.क पीटने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) पल्लव कांति घोष को तलब किया. इस घटना के बाद आरोपी के परिवारवालों की तरफ से एपीडीआर के पास शिकायत दर्ज की गयी थी. पुलिस की इस बर्बरता के खिलाफ एपीडीआर की तरफ से राज्य मानवाधिकार आयेग के पास शिकायत की गयी थी.

मामले की सुनवाई के लिये श्री घोष को मंगलवार को यहां बुलाया गया. सूत्रों की मानें तो श्री घोष से आरोपी को बेधड.क मारने के पीछे के सटीक कारणों के बारे में बताने को कहा गया है. आयोग की तरफ से कहा गया है कि व्यक्ति चाहे कोई भी हो, किसी के जान से खेलने का हक किसी को नहीं है. लेकिन यहां पुलिस की मार के कारण लालबाजार से अस्पताल ले जाते हीं आरोपी सीधे कोमा में चला गया. तकरीबन एक घंटे तक चली पूछताछ के बाद इस पूरे मामले की रिपोर्ट उन्हें सौंपने को कहा गया है. मानवाधिकार सूत्रों के मुताबिक इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा कोलकाता पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (1) सुधीर मिर्शा को तलब किया गया था. कोलकाता पुलिस आयुक्त सुरजीत कर पुरकायस्थ ने फिलहाल श्री मिर्शा के छुट्टी पर रहने की जानकारी देकर आयोग से कहा कि पल्लव कांति घोष को भी इस पूरे मामले की जानकारी है. जिसके बाद आयोग ने श्री घोष को भवानी भवन बुलावा भेजा.

क्या है मामला

कुछ महीने पहले एक महिला ने एक ब्रोकर द्वारा उन्हें नकली शेयर बेचने की शिकायत थाने में दर्ज करायी थी. जिस पर कार्रवाई करते हुये कोलकाता पुलिस के धोखाधडी विभाग की टीम ने राजीव जैन नामक एक व्यक्ति को हावडा के बाली से गिरफ्तार किया था. उसके परिवार वालों का आरोप है कि राजीव को पुलिस लॉक अप में इतना मारा गया, जिससे वे कोमा में चले गये थे. उसके परिवार वालों को पुलिस की तरफ से उनका इलाज कराने को कहा गया था. मना करने पर राजीव को इएम बाइपास के एक गैर सरकारी अस्पताल में भरती किया गया था.

बाद में इलाज का सारा खर्च राजीव के परिवारवालों को देने को कहा गया. पुलिस हिरासत में जख्मी होने के कारण इलाज का खर्च देने से मना करते हुए राजीव के परिवार वालों ने इसकी शिकायत एपीडीआर से की थी. जिसके बाद मामला राज्य मानवाधिकार आयोग तक जा पहुंचा था. तकरीबन एक महीने से ज्यादा अस्पताल में रहने के बाद राजीव की हालत में सुधार हुआ था.

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