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इंजीनियरिंग छोड़ बने किसान ने दी जान
जहां अच्छी फसल होना, हर किसान के लिए खुशखबरी होती है. वहीं, राज्य के किसानों के लिए यह ‘जी का जंजाल’ बन गया है. हालत यह है कि उचित कीमतें नहीं मिलने के कारण यहां के आलू किसान खुदकुशी कर रहे हैं. शुक्रवार को भी एक और किसान ने हताश होकर अपनी जान दे दी. […]
जहां अच्छी फसल होना, हर किसान के लिए खुशखबरी होती है. वहीं, राज्य के किसानों के लिए यह ‘जी का जंजाल’ बन गया है. हालत यह है कि उचित कीमतें नहीं मिलने के कारण यहां के आलू किसान खुदकुशी कर रहे हैं. शुक्रवार को भी एक और किसान ने हताश होकर अपनी जान दे दी.
कोलकाता/बर्दवान/पानागढ़ : बर्दवान जिले में आलू की फसल से मुनाफा नहीं मिलने के कारण इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनेवाले एक युवा किसान प्रवीण कुमार लाहा ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली है. शुक्रवार को जिले के मेमारी थानाक्षेत्र के अलीपुर गांव के किसान प्रवीण कुमार लाहा (33) ने आलू की उचित कीमत नहीं मिलने के कारण आत्महत्या कर ली. इस घटना के साथ ही इस साल राज्य में अब तक खुदकुशी करनेवाले किसानों की संख्या बढ़ कर 12 हो गयी है. पुलिस ने प्रवीण के मेमारी स्थित उसके घर में खुदकुशी करने की पुष्टि की है. पीड़ित के पिता सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक गंगाधर लाहा ने बताया कि प्रवीण ने प्रतिष्ठित यादवपुर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.
लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भी उसने किसान बनना चाहा. हालांकि उसे कई जगह से नौकरी के ऑफर भी आये, लेकिन वह उससे संतुष्ट नहीं था, इसलिए अच्छी नौकरी नहीं मिल पाने की वजह से वह किसान बन गया. बताया जाता है कि उसने पांच बीघा जमीन पर आलू की खेती की. लेकिन इस साल आलू की अच्छी पैदावार होने के कारण यह फसल लाभकारी नहीं रही और प्रवीण अवसाद में आ गया. गुरुवार रात उसने खाना खाने से पहले अपने कमरे में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली. पिता ने बताया कि उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
इस घटना के साथ ही राज्य में खुदकुशी करनेवाले किसानों की संख्या बढ़ कर 12 हो गयी है. इसमें से नौ घटनाएं एक ही महीने में बर्दवान में हुई हैं. दो घटनाएं मालदा में और एक घटना जलपाईगुड़ी जिले की है. इस वर्ष यहां आलू की पैदावार पिछले वर्ष के 85 लाख टन से 30 प्रतिशत अधिक यानी 1.12 करोड़ टन हो गयी है. ऐसे में किसानों को आलू की सही कीमत नहीं मिल रही है और वह आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं.
कर्ज लेकर व जेवरात बेच कर की थी खेती
परिजनों ने बताया कि प्रवीण कुमार लाहा को यादवपुर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली. महाजन से कर्ज और घर के जेवरात बेचकर उसने आलू की खेती की थी. फसल अच्छी होने के बाद भी उचित दर नहीं मिलने से हताश होकर उसने आत्महत्या कर ली. अबतक बर्दवान जिले में ही कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं. लेकिन राज्य सरकार इस दिशा में कोई उपयुक्त कदम नहीं उठाकर पल्ला झाड़ते फिर रही है. इस घटना की जानकारी मिली है. हम मामले की जांच कर रहे हैं.
रानू मंडल, मेमारी प्रखंड विकास पदाधिकारी
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