ये बातें बुधवार को बीडीएम इंटरनेशनल स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यापाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहीं. स्कूल की उपलब्धियों व सांस्कृतिक कार्यक्रम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यालय शिक्षा जैसे कार्य को विस्तारित कर रहा है. सद्भाव व सेवाभाव से किया गया काम वट वृक्ष की तरह विशाल हो जाता है. यही कारण है कि दो बच्चों से शुरू किये गये इस विद्यालय की विभिन्न शाखाओं में आज लगभग 8,000 छात्र पढ़ रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि अच्छे अंक व डिग्री हासिल करना ही शिक्षा के मायने नहीं हैं. छात्रों का समग्र विकास ही सच्ची शिक्षा है. एक ऐसी ट्रेनिंग, जो छात्रों को अच्छे नागरिक के रूप में तैयार करे. इसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए यह विद्यालय 11-12वीं के बच्चों को मास मीडिया सहित कई नये कोर्स का प्रशिक्षण दे रहा है. गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ छात्र सीबीएसइ परीक्षा में अव्वल रहते हैं.
विद्यालय छात्रों को खेलकूद के साथ-साथ साहित्य व संस्कृति से जोड़ने का भी काम कर रहा है. स्वागत भाषण में स्कूल की डाइरेक्टर ऊषा मेहता ने कहा कि बीडीएम इंटरनेशनल महानगर का प्राचीन विद्यालय है, जिसकी शुरुआत 1966 में दो बच्चों के साथ की गयी थी. 49 वर्ष पूरे करने के बाद स्वर्ण जयंती की ओर पदार्पण किया है. छात्रों का ऑल राउंड डेवलपमेंट ही स्कूल का लक्ष्य है.
स्कूल के बच्चों ने रंगमंच पर वीरगाथा काल से लेकर आधुनिक काल तक के सभी प्रमुख साहित्यकारों जैसे अमीर खुसरो की मुकरियां, सूरदास व तुलसी के पद व स्त्री पात्र जैसे कैकेयी, बूढ़ी काकी, आम्रपाली आदि की अभिनयात्मक प्रस्तुति देकर अपनी कलात्मक प्रतिभा दिखायी. छात्रों ने प्रसिद्ध लेखकों, कवियों और उनकी कृतियों को एक विशाल वृक्ष के प्रतीक के रूप में बड़ी खूबसूरती से सजाया. कार्यक्रम की संपूर्ण रूपरेखा स्कूल की निदेशक व संस्थापक प्रिंसिपल ऊषा मेहता ने तैयार की थी. धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के चैयरमैन शैलेश खेतान ने किया.