कोलकाता. भगवान को छल-कपट कतई पसंद नहीं है. भगवान क्या गुरु को भी छल पसंद नहीं है. मानव सेवा ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम कथा के पांचवें दिन मनीषी कुंडलकृष्ण प्रभु (इस्कॉन) ने बुधवार को कहा कि कभगवान को भूखे रहना एवं तप करना पसंद है, लेकिन कपटी व्यक्ति पसंद नहीं है, जो शिष्य गुरु के प्रति समर्पित रहते हैं, उन्हें गुरु आत्मा की बात कहते हैं. भगवान ने गीता में कहा है कि जो छल-कपट से जिंदगी व्यतीत करता है, वह कष्ट पाता है. ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए. मानव शरीर कठिन तपस्या के बाद प्राप्त होता है. जीवन सफल हो, इसके लिए कुकर्म से बचना चाहिए. जनक जी मिथिला के राजा थे. वे हमेशा प्रजा की चिंता रखते थे औेर उनके सुख-दु:ख में साथ रहते थे. उनकी पुत्री सीता का विवाह श्रीरामचंद्र से हुआ था, लेकिन वे भगवान के परम भक्त थे. याज्ञबल्क्य मुनि जब भी कीर्तन भजन आदि का आयोजन करते थे, तो जनक जी इसमें जरूर शामिल होते थे. कार्यक्रम का संचालन महावीर रावत ने किया. कृष्ण कुमार सराफ ने अतिथियों का स्वागत किया.
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कपटी भगवान को पसंद नहीं : कृष्ण प्रभु
कोलकाता. भगवान को छल-कपट कतई पसंद नहीं है. भगवान क्या गुरु को भी छल पसंद नहीं है. मानव सेवा ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम कथा के पांचवें दिन मनीषी कुंडलकृष्ण प्रभु (इस्कॉन) ने बुधवार को कहा कि कभगवान को भूखे रहना एवं तप करना पसंद है, लेकिन कपटी व्यक्ति पसंद नहीं है, जो शिष्य […]
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