विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिकॉर्ड के अनुसार पश्चिम बंगाल में टीबी के जितने रोगियों की जानकारी राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय के पास होनी चाहिए थी, उतना आंकड़ा मंत्रालय के पास नहीं है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि जिन टीबी रोगियों का पता नहीं चल रहा है, उनमें से अधिकतर टीबी का संक्रमण समाज में फैलाने के लिए दोषी हैं. वे खुद तो स्वस्थ नहीं हो रहे हैं, उलटे दूसरों को भी इससे पीडि़त कर रहे हैं. अधिकारियों का मानना है कि टीबी रोग पर नियंत्रण पाने में यही लोग कांटे बने हुए हैं. टीबी के ऐसे रोगियों की तलाश के लिए स्वास्थ्य विभाग ने दवा दुकानों से जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश दिया है. स्वास्थ्य कर्मी दवा दुकानों में जा कर यह पता लगायेंगे कि उनके यहां से कौन-कौन लोग टीबी की दवा खरीद रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी मरीजों की संख्या : 2.25 लाखस्वास्थ्य विभाग के अनुसार टीबी मरीजों की संख्या : 1.15 लाखप्रत्येक वर्ष टीबी से मरनेवालों की संख्या : 2000प्रत्येक वर्ष टीबी रोगियों की संख्या में इजाफा : 4-5 प्रतिशतअधिकारियों का कहना है कि समाज व सरकारी टीबी चिकित्सा केंद्र (डॉट्स) से अपने रोग छिपानेवाले अधिकतर लोग प्राइवेट इलाज करवाते हैं. जबकि डॉट्स सेंटरों में टीबी का मुफ्त इलाज व दवा उपलब्ध है. हालांकि लोग शर्म से वहां नहीं जाते हैं और किसी प्राइवेट डॉक्टर से आधा-अधूरा इलाज करवा कर इस बीमारी का संक्रमण फैलाते हैं. टीबी पर नियंत्रण पाने के लिए अब सरकार ने ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए दवा दुकानों से जानकारी इकट्ठा करने का फैसला किया है.
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टीबी रोगियों की तलाश में दवा दुकानों के चक्कर लगा रहा स्वास्थ्य विभाग (आंकड़ा)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिकॉर्ड के अनुसार पश्चिम बंगाल में टीबी के जितने रोगियों की जानकारी राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय के पास होनी चाहिए थी, उतना आंकड़ा मंत्रालय के पास नहीं है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि जिन टीबी रोगियों का पता नहीं चल रहा है, उनमें से अधिकतर टीबी का संक्रमण समाज में फैलाने […]
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