कोलकाता. जिस देश की तीन चौथाई आबादी की आजीविका कृषि हो, वहां केंद्र द्वारा बनाये गये नये भूमि अधिग्रहण कानून को निश्चित रूप से एक काला कानून का दर्जा दिया जा सकता है. जिस राज्य में नदीग्राम और सिंगुर जैसे किसान आंदोलन हुए, वहां हम किसी भी हाल में इस कानून को लागू होने नहीं देंगे. ये बातें शनिवार को कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान शिल्पी, संस्कृति कर्मी बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष तरुण सान्याल ने कहीं. श्री सान्याल ने कहा कि मंच द्वारा जल्द ही राज्य के विभिन्न जिलों में सभा कर नये भूमि अधिग्रहण कानून की खामियों को बताया जायेगा. इसके साथ ही अप्रैल महीने में देश व्यापी आंदोलन होगा जिसमें झारखंड, असम और ओडिशा के बुद्धिजीवियों को साथ लेकर आंदोलन किया जायेगा. इस दौरान समाजसेवी सुजात भद्र ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आज ही के दिन नंदीग्राम में आंदोलन के दौरान कई किसान मारे गये थे. नंदीग्राम और सिंगुर के आरोपी आज भी खुलेआम घुम रहे हैं. हमारी मांग है कि नंदीग्राम और सिंगुर के आरोपियों को जल्द से जल्द सजा मिले और किसानों पर लगे झूठे मामलों को तुरंत वापस लिया जाये. श्री भद्र ने कहा कि मोदी सरकार का नया भूमि अधिग्रहण विधेयक किसान विरोधी है. इससे केवल कारपोरेट घरानों को लाभ मिलेगा.
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भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ राज्य के बुद्धिजीवी करेंगे आंदोलन
कोलकाता. जिस देश की तीन चौथाई आबादी की आजीविका कृषि हो, वहां केंद्र द्वारा बनाये गये नये भूमि अधिग्रहण कानून को निश्चित रूप से एक काला कानून का दर्जा दिया जा सकता है. जिस राज्य में नदीग्राम और सिंगुर जैसे किसान आंदोलन हुए, वहां हम किसी भी हाल में इस कानून को लागू होने नहीं […]
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