(फोटो-प्रवचन करते डॉ मनोज मोहन शास्त्री(664), प्रवचन सुनते डॉ सरला बिरला-बसंत कुमार बिरला, देवेंद्र मंत्री व अन्य) कोलकाता. यदि आप परमात्मा के शरणागत हैं तो जीवन में जब भी भूल होने की संभावना होगी तब परमात्मा आपको सद्बुद्धि देकर उन भूलों से बचाते हैं. इंद्रियों के बीच शक्ति का जो अनुभव होता है वही तो परमात्मा है. सारे साधन एक तरफ और दूसरी तरफ गोविंद की कृपा हो तो हमेशा गोविंद की कृपा ही भारी पड़ती है. भगवान को ज्यादा नहीं हमारे थोड़े प्रेम की जरूरत है. द्रौपदी और सीता ऐसे दो पौराणिक पात्र हैं जिनके कारण रामायण और महाभारत ग्रंथ की रचना हुई. सीता का जहां जन्म पृथ्वी से हुआ वहीं द्रौपदी का जन्म अग्निकुंड से. यदि सीता बोल गयी होती तो रामायण नहीं होता और द्रौपदी चुप रहती तो महाभारत नहीं होता. कभी कभी जीवन में हम स्थान, काल और पात्र का विवेचन किये बिना मूर्खतावश कुछ बोल देते हैं, जिसके कारण समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. हमें वाणी का उपयोग करना चाहिए. मेरा मानना है कि अनर्गल बोलने वालों पर टैक्स लगना चाहिए. बोलने की भी एक मर्यादा होती है. अमर्यादित जीवन पशुतुल्य है. कृष्ण का मतलब टेढ़ा होता है अर्जुन का मतलब ऋजु अर्थात सीधा होता है. यदि हम अर्जुन की तरह सीधे और सरल होंगे, मतलब हमारा जीवन परमात्मा के प्रति समर्पित होगा तो हमारे जीवन के सारथी भगवान स्वयं बनने के लिए तैयार हैं. ये बातें संगीत कला मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए डॉ मनोज मोहन शास्त्री कला कुंज में कही. श्रोताओं में डॉ सरला-बसंत कुमार बिरला, देवेंद्र मंत्री, दाउलाल बिन्नानी, राधेमोहन अग्रवाल, देवकुमार सराफ, रामलाल डालमिया व अन्य गणमान्य उपस्थित थे.
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अनर्गल बोलने वालों पर लगे टैक्स: डॉ मनोज मोहन शास्त्री
(फोटो-प्रवचन करते डॉ मनोज मोहन शास्त्री(664), प्रवचन सुनते डॉ सरला बिरला-बसंत कुमार बिरला, देवेंद्र मंत्री व अन्य) कोलकाता. यदि आप परमात्मा के शरणागत हैं तो जीवन में जब भी भूल होने की संभावना होगी तब परमात्मा आपको सद्बुद्धि देकर उन भूलों से बचाते हैं. इंद्रियों के बीच शक्ति का जो अनुभव होता है वही तो […]
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