कोलकाता. विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित सुंदरवन में पर्यावरण के नुकसान से भारत को हर साल 1290 करोड़ रुपये की कीमत चुकानी पड़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पारिस्थितिकी कमजोर होने और जैवविविधता के नुकसान से जुड़ी पर्यावरणीय क्षति करीब 6.7 अरब रुपये (670 करोड़ रुपये) सालाना की है, जबकि कमजोर पर्यावरण के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव के चलते 6.2 अरब रुपये (620 करोड़ रुपये) का नुकसान हो रहा है. नुकसान का कुल आंकड़ा 1290 करोड़ रुपये का है, जो कि 2009 में सुंदरवन की जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है. पश्चिम बंगाल सरकार के साथ तालमेल से विश्व बैंक ने सुंदरवन के सतत विकास से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि अरक्षणीय और अपर्याप्त आर्थिक गतिविधियों से जुड़े कारकों- जैसे मैंग्रोव का घटना, चक्रवात का प्रभाव, कृषि पैदावार का घटना और मत्स्य पर प्रभाव तथा पारिस्थितिकी सेवाओं के क्षरण से यह नुकसान हुआ है. संुदरवन 54 द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जहां करीब 44 लाख लोगों के घर हैं. यूनोस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित द्वीपसमूह को समुद्र में जल स्तर बढ़ने और जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान, लवणता, भूमि अपरदन का सामना करना पड़ रहा है.
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सुंदरवन में प्रत्येक वर्ष 1290 करोड़ का पर्यावरणीय नुकसान
कोलकाता. विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित सुंदरवन में पर्यावरण के नुकसान से भारत को हर साल 1290 करोड़ रुपये की कीमत चुकानी पड़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पारिस्थितिकी कमजोर होने और जैवविविधता के नुकसान से जुड़ी पर्यावरणीय क्षति करीब 6.7 […]
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